“ओवर ब्रिज के बारे में 40 वर्षों से सुन रहे हैं। पूरे शहर में जाम लग जाता है इस ओवरब्रिज की वजह से। कई बार जाम की वजह से एंबुलेंस में लोगों की जान चली जाती है। कई बार नेताओं का आंदोलन देखा, शिलान्यास देखा, नेता लोग बनाने की कसम खाते हैं। सब सुनिए रहे हैं। कोई उम्मीद नहीं हैं कि ओवरब्रिज बनेगा।” स्टेशन के पास चाय की दुकान चला रहे विनोद बताते हैं।
मशहूर बाढ़ और बांध विशेषज्ञ दिनेश कुमार मिश्र ने अपनी पूरी जिंदगी कोसी और कोसी वासियों के लिए काम किया। सबसे पहले वो 1984 में सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड में हेमपुर गाँव के पास कोसी बांध टूटने पर आए थे। इण्डियन नेशनल प्रेस पटना से प्रकाशित अखबार आर्यावर्त के लिए 25 मई, 1957 में सहरसा से पटना एक चिट्ठी गई, जिसमें लिखा था कि, “सहरसा रेलवे स्टेशन पर पुल के लिए जनता बहुत दिनों से मांग कर रही है, पर कोई भी इस पर ध्यान नहीं देता है। जंक्शन के दोनों ओर माल गाडी के डिब्बे लगे रहते हैं। परिणाम यह होता है कि इस पार से उस पार जाना कठिन हो जाता है। अक्सर शंटिंग के कारण रेलवे कर्मचारियों या नागरिको को चोट लग जाया करती है। सहरसा के विकास के साथ शहर की जनसंख्या भी बहुत बढ़ गयी है।”
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उस चिट्ठी को लिखे लगभग 65 साल होने को जा रहा है। सहरसा ने टेकरीवाल से लेकर रमेश चंद्र झा और पप्पू यादव से लेकर आनंद मोहन की राजनीति देखी। कितने नेताओं को ओवर ब्रिज के लिए अनशन करते देखा गया तो कितने आम चेहरों को नेता बनते। कई बार शिलान्यास की खबरें देखीं, तो कई बार आवंटित राशि के लिए मिठाई बांटी गई। लेकिन अभी तक ओवरब्रिज के लिए एक ईट भी नहीं गिरी है। वर्तमान में फिर से कवायद हो रही है। लेकिन, कब बनेगा यह कहना मुश्किल है।
क्या सहरसा के व्यापारी नहीं चाहते ओवरब्रिज ?
“जाम तो जिंदगी का एक भाग बन चुका है। पुल के उस तरफ विश्वविद्यालय है दूसरी तरफ घर। दो बार जाना निश्चित है उस तरफ। शायद ही कभी हो कि बिना जाम के आसानी से पार कर जाता हूं। शब्दों में अपनी समस्या को बयां नहीं किया जा सकता है। आज ही 10 बजे से सेमिनार है। सुबह 9:30 बजे घर से निकले थे, जाम में फंसे-फंसे 10:30 बज चुका है।” एमएलटी कॉलेज का छात्र विकास बताता है।
जाम में फंसे 47 वर्षीय सहदेव साह बताते हैं कि, “आप खुद देखिए सैकड़ों यात्री फंसे हुए हैं। समय पर किसी को हॉस्पिटल जाना है तो किसी को विश्वविद्यालय। लेकिन जाम ने सब को स्थिर कर दिया है। राशि राज्य से निर्गत होने के बावजूद चंद व्यापारियों द्वारा राजनीति की जा रही है। उनका कहना है कि बाजार नहीं तो ब्रिज क्यों। आप ही बताइए क्या ब्रिज सिर्फ बाजार के लिए बनता है। ब्रिज बनेगा तो पूरे सहरसा का नक्शा बदलेगा। हमारा सहरसा विस्तृत होगा। चंद व्यापारियों के द्वारा इसे कुछ किलोमीटर का शहर बनाकर रखा जा रहा है।”
जनप्रतिनिधि को कोसते हैं सहरसा के लोग
ई रिक्शा पर सवार छात्र केशव झा कहते हैं कि,”दादा भी इंतजार करते रहे, पापा भी और अब हम भी करेंगे। पथ निर्माण विभाग और वित्त विभाग दोनों मंजूरी दे दिया है। वर्तमान विधायक मंत्री हैं लेकिन उम्मीद अब भी नहीं हैं कि बनेगा। सुपौल में ओवरब्रिज का निर्माण भी शुरू हो गया है। लेकिन सहरसा इस मामले में काफी पिछड़ा है। शहरवासियों के लिए जाम अब धीरे-धीरे नासूर बनता जा रहा है।
2 महीने पहले जदयू नेता के पुत्र की मृत्यु जाम से
4 सालों से ओवर ब्रिज के लिए रोड पर संघर्ष कर रहे सोहन झा बताते हैं कि, “4 साल पहले इसी जाम की वजह से एक बच्चे की मृत्यु हुई थी। इसी बात ने मुझे ओवर ब्रिज के लिए आंदोलन करने के लिए झकझोड़ दिया। 4 साल से अनवरत आंदोलन कर रहा हूं। स्थानीय विधायक से लेकर पथ निर्माण मंत्री और मुख्यमंत्री तक इस बात की अर्जी दे चुका हूं। ओवरब्रिज निर्माण को भी स्वीकृति दी गई और राशि को भी। इसके बाद 200-250 व्यापारियों की वजह से सब कुछ स्थगित कर दिया गया। वे लोग बाजार को फैलाना नहीं चाहते। अपने लोग की वजह से पूरे शहर को बांध कर रखना चाहते हैं। 2 महीने पहले ही एंबुलेंस के जाम में फंसने से जदयू नेता अमरदीप शर्मा के पुत्र की मृत्यु हो गई थी। ऐसी कितनी ही खबरें आती रहती है।”
“एक दिन में कितनी ही बार फाटक गिरता है। जाम शहर की नियति बन गई है। हर दिन लोग जाम से जूझते हैं। लेकिन इसका समाधान नहीं निकल रहा है। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, अधीर रंजन चौधरी, दिग्विजय सिंह इस ओवरब्रिज का शिलान्यास कर चुके हैं। लेकिन चंद व्यापारियों की वजह से..” बोलते बोलते चुप हो जाते हैं युवा वकील कुणाल कश्यप।
चुनाव का मुद्दा बन कर रह जाता है Saharsa Overbridge का मसला
वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी मुकेश सिंह ओवर ब्रिज के लिए आंदोलन भी कर चुके हैं और कवरेज भी। मुकेश सिंह बताते हैं कि, “25 वर्ष के दौरान 4 बार इसका शिलान्यास हुआ है। लेकिन एक ईंट भी अभी तक नहीं गिरी है। चुनाव के वक्त इस का मुद्दा खुद ब खुद धरातल पर आ जाता है। हालांकि इस बार लोगों को भरोसा था कि ओवर ब्रिज का मसला हल होगा। लेकिन फिर इस बार भी समाधान नहीं दिख रहा है। इस सब के लिए सत्ता में बैठे नेता भी जिम्मेदार हैं और विपक्ष। यह शहर का सबसे बड़ा मुद्दा है, लेकिन किसी ने भी मुखर होकर आवाज नहीं उठाई।”
“सहरसा दो भागों में बंटा हुआ है। लेकिन दूसरे भाग में जाने के लिए जाम का सामना करना पड़ता है। कितना दुर्भाग्य है हमारे शहर का। अगर ओवर ब्रिज बन गया तो कई लोगों की राजनीति खत्म हो जाएगी। इसलिए तो तमाम ‘हां’ के बीच ‘ना’ हावी है।” आगे मुकेश सिंह बताते हैं।
व्यापारियों का पक्ष
दहलान चौक और महावीर चौक पर अवस्थित दुकानों पर ‘बाजार बचाओ ब्रिज बनाओ’ का पोस्टर लगा हुआ है। साथ ही फरवरी 2022 में ओवर ब्रिज प्रस्तावित होने के बाद शहर के डीबी रोड, दहलान चौक, गांधी पथ, शंकर चौक व इससे सटे व्यावसायिक क्षेत्र के व्यवसायी ने ओवरब्रिज के प्रस्तावित नक्शे पर पुनर्विचार करने की मांग को लेकर डीएम को आवेदन दिया था।
श्री राम ट्रेडर्स के निर्मल गारा का कहना हैं कि, “प्रस्तावित नक्शा जिन क्षेत्रों से होकर गुजर रहा है वह इस शहर का सबसे प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र व मुख्य बाजार है। इस नक्शे के अनुसार बनने वाले रेलवे ओवरब्रिज से हजारों परिवार बेरोजगार हो जाएंगे। प्रस्तावित नये नक्शे के अनुसार डीबी रोड में 594 फीट, धर्मशाला रोड में 492 फीट, वीआईपी रोड में 558 फीट आरई अप्रोच वाल बनाया जायेगा। इससे रोड दो भागों में विभक्त हो जाएगा। ओवरब्रिज के निर्माण के लिए रेलवे के पास 14 बीघा पर्याप्त जमीन उपलब्ध है, जिसका उपयोग प्रस्तावित ओवरब्रिज के स्वरूप को बदल कर मुख्य बाजार को बचाते हुए नये स्वरूप से निर्माण किया जा सकता है।”
एक व्यापारी नाम नहीं बताने के शर्त पर कहते हैं कि, “वर्ष 2000 और 2005 में जिस नक्शे के आधार पर शिलान्यास किया गया था। उससे मुख्य बाजार शहर प्रभावित नहीं हो रहा था।
2015 में तत्कालीन रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन के द्वारा उद्घाटन हुआ और साथ ही मिट्टी जांच भी हुई। फिर अचानक दिसम्बर 2021 में सरकार द्वारा नये नक्शा का प्रारूप पास कर व्यापारियों का मानसिक प्रतिघात किया जा रहा है।”
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आवाज़ उठाने के लिए आपको बहुत बहुत आभार भैया।
सीतामढ़ी रेलवे ओवर ब्रिज का भी यही हाल है
पिछले 10 वर्षों से बृज का दो पिलर खड़ा है घण्टो जाम लगती है।
छोटा सा सोनू या अयांश का मामला हो तो बात pm और cm तक पहुंच जाती है पर ये बात किसी तक नही पहुंच पा रहा।