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महादलित गाँव के लिए 200 मीटर रोड नहीं दे रहे ‘जातिवादी’ ज़मींदार!

ग्रामीणों का कहना है कि गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाला रास्ता कुछ ज़मींदारों की निजी ज़मीन है। ज़मींदार अपनी ज़मीन पर पक्की सड़क बनने नहीं देना चाहते हैं।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड के अमरौरी गांव स्थित हरिजन टोले को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क नदारद है। करीब 200 मीटर लंबे इस रास्ते में बरसात के दिनों में काफी पानी भर जाता है। मानिकपुर पंचायत के वार्ड संख्या 13 के हरिजन टोला में रहने वाले लोग महादलित जाति से आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाला रास्ता कुछ ज़मींदारों की निजी ज़मीन है। ज़मींदार अपनी ज़मीन पर पक्की सड़क बनने नहीं देना चाहते हैं।

स्थानीय निवासी सहदेव राम की मानें तो कुछ साल पहले तत्कालीन जिला परिषद ने सड़क पर मिट्टी गिरवाई थी, लेकिन जब पता चला कि यह सरकारी ज़मीन नहीं है तो मिट्टी काट कर हटा दिया गया। सहदेव कहते हैं, रास्ते में कई ज़मींदारों की ज़मीने हैं, जो नहीं चाहते कि महादलित टोला की पक्की सड़क बने। वह चाहते हैं कि जो वह कहें गांव वाले वही करें।

पिछले साल बाढ़ के दिनों में शंभु राम के 35 वर्षीय भतीजे की तबियत बिगड़ गई, लेकिन सड़क न होने के कारण उसे अस्पताल नहीं ले जाया जा सका, जिससे उसने घर में दम तोड़ दिया।


यही कहानी केशेश्वर राम के घर की है। उनके भाई शुगर के मरीज़ थे, बाढ़ के कारण गांव से अस्पताल जाने के लिए कोई रास्ता नहीं था, वक़्त पर सही इलाज नहीं हो सका, जिससे उनके भाई की मौत हो गई। केशेश्वर कहते हैं, “सब कुछ ज़मींदारों के हाथ में हैं, वे पैसे वाले लोग हैं, हम लोग उनसे क्या सकेंगे।”

स्थानीय निवासी मिसरी लाल राम पीडीएस डीलर हैं, बरसात के दिनों में गाँव तक सामान लाना उनके लिए एक संघर्ष है, इसलिए गाँव से बाहर ही कहीं सामान रखना पड़ता है। मिसरी बताते हैं, सड़क निर्माण के लिए विधायक से लेकर डीएम तक से गुहार लगाई गई, लेकिन कुछ नहीं हो सका। उनके अनुसार सड़क की ज़मीन बहुत पुरानी है, लेकिन 1954 के सर्वे में उसे अंकित नहीं किया जा सका।

उन्होंने हमें अररिया जिला पदाधिकारी द्वारा फरवरी 2018 में जारी किया गया एक पत्र दिखाया। उस पत्र में अररिया जिला पदाधिकारी ने सड़क की मांग को उचित बताते हुए नरपतगंज आँचलाधिकारी को सतत लीज़ की सूचना का प्रलेखन कर जिला लोक शिकायत निवारण को भेजने का आदेश दिया था। इस आदेश-पत्र के 5 साल बाद भी गांव में सड़क नहीं बन सकी है।

हरिजन टोला के लोगों का कहना है कि सड़क न बनने की एक बड़ी वजह उनकी जाति है। गांव में लगभग 60-65 घर हैं, सभी महादलित जाति से आते हैं। उनके अनुसार, ज़मींदार राजेंद्र यादव चाहते हैं कि गांव के लोग उनके अंतर्गत, उनके कहने अनुसार काम करें, तब सड़क दी जाएगी वरना सड़क निर्माण का कार्य नहीं कराया जाएगा।

स्थानीय लोगों ने बताया कि बरसात के दिनों में गांववासी अपने खर्च पर ही चचरी का पुल बना कर किसी तरह आना जाना करते हैं। बरसात आते ही गांव में पानी ही पानी होता है, ऐसे में पक्की सड़क न होने से खाने पीने का सामान और दवाई जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी रोज़ाना जद्दोजहद करनी पड़ती है।

स्थानी वार्ड सदस्य विनोद कुमार यादव जातिवाद के आरोपों से इंकार करते हैं। उनका कहना है, निजी ज़मीन होने के कारण ज़मीन के मालिक सड़क निर्माण की अनुमति नहीं देते हैं, हालांकि आने जाने में कोई पाबंदी नहीं है।

इस मामले में हमने ज़मींदार राजेंद्र यादव के पुत्र विवेक यादव से फ़ोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि उनके दादा ने 2005 में मिट्टी की सड़क बनवाई थी, जो कई सालों तक रही लेकिन हरिजन टोला के लोगों के मवेशियों ने सड़क किनारे उनके पेड़ों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर दिया।

विवेक यादव आगे कहते हैं, “हमने इसकी शिकायत की तो पूरा टोला हमारे खिलाफ उठ गया। अगर एक एक बच्चा दबिया, परसा लेकर निकलेगा, तो कोई हाथ में चूड़ी पहनकर तो नहीं बैठा हुआ है। ये लोग हमारे खिलाफ रेप और मारपीट का झूठा केस कर दिया। आपका ज़मीन है और आप ही के ऊपर धौंस जमा रहा है यह कहां का नियम है। रास्ता तो अभी भी है, लेकिन वो लोग चाहेगा कि हम लोग ट्रक और बस लेकर गुज़रेंगे तो यह संभव नहीं है।”

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विवेक ने आगे कहा, “पूरे गांव में वे लोग काम करने के लिए सबके खेत में जाते हैं लेकिन मेरे खेत में नहीं जाता है। हमको चार – पांच किलोमीटर दूर से धान और गेहूं कटाई के लिए मज़दूर लाना पड़ता है।”

हमने विवेक से हरिजन टोला निवासियों द्वारा उनके पिता पर लोगों को नियंत्रित करने का प्रयास करने के आरोप के बारे में पूछा तो उसने कहा, “आज के दिन में कौन किसका ग़ुलाम है, हर कोई आज़ाद है, कोई काम क्या फ्री में करता है। जब आप अपनी जगह पे शाणा बनियेगा तो उससे भी ज़्यादा शाणा हम हैं। हमारी ज़मीन, हमारी संपत्ति है हम जो चाहेंगे वो करेंगे।”

इसके बाद विवेक ने जिला पदाधिकारी के पत्र के बारे में बताया कि बहुत बार डीएम का नोटिस आया है, हर बार उनके पिता राजेंद्र यादव ने जाकर हाज़री दी है। उन्होंने आगे कहा कि सभी अधिकारियों ने भी माना है कि सड़क के लिए ज़मीन देना या न देना उनका निजी फैसला है और इसके लिए कोई ज़बरदस्ती नहीं कर सकता।

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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