Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

क्या बायोगैस बिहार में नवीकरणीय ऊर्जा का समाधान हो सकता है?

गोबरधन की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2024 तक कुल 1340 प्लांट रजिस्टर किये जा चुके हैं।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
Published On :
can biogas be a renewable energy solution for bihar

बायोगैस एक तरह का प्राकृतिक ईंधन है, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक कचरे जैसे खाना या गोबर के सड़ने से बनता है। इससे मुख्य रूप से दो गैसें, मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड, निकलती हैं। बायोगैस में 50-65% तक मीथेन होता है, इसीलिए यह ज्वलनशील होता है और एक गहरी नीली लौ उत्पन्न करता है, जिसे ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।


बायोगैस पर निर्भरता बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने गोबरधन योजना की शुरुआत की है। GOBARdhan यानी गैल्वनाइज़िंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज़ धन योजना, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत चलायी जा रही है। इस योजना के अंतर्गत जिला स्तर पर बायोगैस प्लांट बनाये जाने हैं। गोबरधन की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2024 तक कुल 1340 प्लांट रजिस्टर किये जा चुके हैं। इनमें करीब 65% प्लांट्स के चालू होने का दावा किया गया है। आंकड़े बताते हैं कि बिहार के 38 ज़िलों में 14 प्लांट ऑपरेशनल हैं और 29 जगहों पर निर्माण कार्य चल रहा है।

Also Read Story

बिहार में राज्य जलवायु वित्त प्रकोष्ठ बनेगा, नवीकरणीय ऊर्जा नीति शुरू होगी

बिहार में बनेंगे पांच और बराज, क्या इससे होगा बाढ़ का समाधान?

भारत में आकाशीय बिजली गिरने का सबसे अधिक असर किसानों पर क्यों पड़ता है?

अररिया में मूसलाधार बारिश के बाद नदियों का जलस्तर बढ़ा

किशनगंज: कनकई और बूढ़ी कनकई नदी के उफान से दिघलबैंक में बाढ़, लोगों का पलायन जारी

किशनगंज में भारी बारिश से नदियां उफान पर, ग्रामीण नदी कटाव से परेशान

नेपाल में भारी बारिश से कोशी, गंडक और महानंदा नदियों में जलस्तर बढ़ने की संभावना, अलर्ट जारी

कटिहार की मधुरा पंचायत में बाढ़ का कहर, घरों में घुसा पानी, लोग फंसे

पूर्णिया: बायसी में नदी कटाव का कहर, देखते ही देखते नदी में समाया मकान

बायोगैस प्लांट मुख्यतः तीन तरह के डिज़ाइन में होते हैं। बिहार में फिक्स्ड-डोम स्टाइल को अपनाया जा रहा है।


सामुदायिक बायोगैस प्लांट

पटना ज़िले के धनरूआ प्रखंड अंतर्गत सोनमई पंचायत में मई 2023 से 60 क्यूबिक मीटर क्षमता वाला बायोगैस प्लांट चल रहा है। इसमें रोज़ाना 1500 Kg गोबर की खपत होती है, जिससे करीब 20-22 घरों में सुबह शाम दो-दो घंटे गैस की सप्लाई की जा रही है। गैस की सप्लाई प्लांट के आसपास के घरों में की जाती है, जबकि गोबर की आपूर्ति पूरे पंचायत के किसान करते हैं।

सोनमई की महिलाएं पहले गोबर का गोइठा या उपला बना कर बेचती थीं, जिसमें काफी शारीरिक परिश्रम लगता है। मगर, वे खुश हैं कि अब बिना किसी मेहनत के उनको गोबर के पैसे मिल रहे हैं।

गोबरधन योजना के तहत पशुपालकों से गोबर खरीदा जाता है। पहले, गोबर को एक इनलेट के जरिए बायोगैस प्लांट के डाइजेस्टर में डाला जाता है। यहां गोबर से गैस बनती है, जो बैलून शेड में इकट्ठा होती है। जो गैस बनती है, उसे पाइप के माध्यम से लोगों के घरों में चूल्हों तक पहुंचाया जाता है। चूल्हों में गैस की खपत को मापने के लिए मीटर का उपयोग किया जाता है। बायोगैस बनाने के बाद बचा हुआ गोबर खाद के रूप में आउटलेट में जमा हो जाता है, जिसे खेती के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। बायोगैस प्लांट की प्रक्रिया सरल है, लेकिन बिहार में अब भी इसके सामने कई चुनैतियाँ हैं। 3 अक्टूबर, 2024 को जब हम सोनमई गए, तो पता चला कि डाइजेस्टर में दरार आने से कई दिनों तक प्लांट बंद था। मरम्मत के बाद कुछ रोज पहले ही इसे वापस शुरू किया गया था।

इसी तरह 30 सितंबर, 2024 को जब हम सुपौल ज़िले की अमहा पंचायत गए, तो वहाँ का प्लांट बंद पड़ा था। यहां 80 क्यूबिक मीटर क्षमता वाला बायोगैस प्लांट अक्टूबर 2023 में बनाया गया है। इसमें रोज़ाना 2000 Kg गोबर की खपत से 31 घरों में गैस की सप्लाई की जा सकती है। लेकिन यहाँ गोबर की तय कीमत 50 पैसे प्रति किलो से किसान खुश नहीं हैं। हालांकि गोबरधन योजना के तहत सरकार ने न तो गोबर का रेट तय किया है, न उससे उत्पन्न होने वाले गैस की दर फिक्स की गयी है, ये निर्णय स्थनीय लोगों पर छोड़ दिया गया है। वहीं, किशनगंज जिले में प्लांट के लिए जमीन के चयन में कई अड़चनें आईं। हालामाला पंचायत में प्लांट बनाया गया है, लेकिन एक चहारदीवारी के इंतज़ार में प्लांट अब तक शुरू नहीं हो पाया है।

एलपीजी और बायोगैस के गुणों में अंतर होने के कारण, ये गैसें एक-दूसरे के स्थान पर उपयोग नहीं की जा सकतीं। बिना मॉडिफिकेशन के बायोगैस को एलपीजी चूल्हे में सही ढंग से नहीं जलाया जा सकता। बायोगैस चूल्हे को विशेष रूप से इसके कुशल और सुरक्षित उपयोग के लिए डिजाइन किया जाता है, जिससे धुंआ रहित दहन और ऊर्जा का उचित उपयोग सुनिश्चित हो सके।

आगे का रास्ता

फिलहाल इन प्लांट्स में केवल गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है, मगर, इसमें रसोई के बचे हुए खाने, फसल के अवशेष और बाजार के कचरे भी जोड़े जा सकते हैं। प्लांट से बायोगैस के अलावा अवशेष के रूप में ठोस व तरल जैविक खाद भी मिलता है, जिसकी मात्रा फिलहाल बहुत कम है।

जलवायु परिवर्तन के मामले में बिहार, देश के अति संवेदनशील राज्यों में शामिल है। राज्य का उत्तरी हिस्सा बाढ़ से प्रभावित रहता है, तो दक्षिणी हिस्सा सुखाड़ का दंश झेलता है। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन संवेदनशीलता के मामले में शीर्ष 29 राज्यों में बिहार का रैंक छठवां है।

भारत में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां एक-एक बायोगैस प्लांट से हज़ारों घरों में गैस की सप्लाई की जा रही है। बिहार में गोबर की कोई कमी नहीं है, इसलिए राज्य के लिए इस ओर कदम बढ़ाना कारगर हो सकता है।

संसद में एक सवाल के जवाब में 24 जुलाई, 2024 को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि जल शक्ति मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-2 के तहत गोबरधन योजना के अंतर्गत मॉडल सामुदायिक बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के लिए प्रति जिले को ₹50.00 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अलावा, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, और आवास और शहरी कार्य मंत्रालय भी विभिन्न योजनाओं के तहत प्रदेश में बायोगैस प्लांट स्थापित करवा रहे हैं।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

Related News

कटिहार में गंगा और कोसी के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ का कहर

बाढ़ से सहरसा में सैकड़ों घर कटान की ज़द में, घर तोड़ दूसरी जगह ले जा रहे लोग

बाढ़ प्रभावित सहरसा में सरकारी नाव उपलब्ध नहीं, लोग चंदा इकट्ठा कर बना रहे नाव

सहरसा में कोसी नदी के कटाव से सैकड़ों घर नदी में समाये, प्रशासन बेख़बर

कटिहार जिला के बरारी में घरों में घुसा बाढ़ का पानी

पूर्णिया: महानंदा में कटाव से आधा दर्जन घर नदी में समाए, दर्जनों मकान कटाव की ज़द में

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

चचरी के सहारे सहरसा का हाटी घाट – ‘हमको लगता है विधायक मर गया है’

अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस पर प्रदर्शन – सिर्फ 400 रुपया पेंशन में क्या होगा?

फिजिकल टेस्ट की तैयारी छोड़ कांस्टेबल अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

बिहार में पैक्स अपनी ज़िम्मेदारियों को निभा पाने में कितना सफल है?

अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती किशनगंज की रमज़ान नदी