महाराष्ट्र (Maharashtra) के पुणे (Pune Building Collapse) के यरवदा में तीन फरवरी की रात एक कंस्ट्रक्शन साइट पर स्लैब गिरने से बिहार के कटिहार जिले के पांच मजदूरों की मौत के मामले में वहां काम करने वाले मजदूरों ने सनसनीखेज खुलासा किया है।
पांचों शव के साथ लौटे मजदूरों ने कहा है कि साइट पर कोई इंजीनियर नहीं रहता था और न ही सुरक्षा का कोई इंतजाम था। मजदूरों का ये भी कहना है कि साइट पर एक दिन पहले भी हादसा हुआ था इसके बावजूद मजदूरों से काम कराया गया।
सजाउल आलम उसी साइट पर काम कर रहे थे। वह बताते हैं, “मैप में जो डिजाइन था, उसके अनुरूप काम नहीं हो रहा था और साथ कंस्ट्रक्शन में खराब हो चुके माल का इस्तेमाल किया जा रहा था।”

“बिल्कुल गैर कानूनी तरीके से काम हो रहा था। काम के वक्त वहां कोई अधिकारी नहीं रहता था। उनका सिर्फ ये निर्देश होता था कि जल्द से जल्द काम किया जाए,” सजाउल ने मैं मीडिया को बताया।
सजाउल के मुताबिक, दूसरे मजदूरों ने उन्हें बताया था कि उक्त साइट जो कम हो रहा है उसमें बहुत खतरा है। “उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं ये साइट छोड़कर उनके साथ काम करूं,” उन्होंने बताया।
उसी साइट पर काम कर रहे मो. अंजार ने “मैं मीडिया” के साथ बातचीत में एक और सनसनीखेज खुलासा किया।
“जिस दिन स्लैब गिरा था, उससे एक दिन पहले ही वहां एक बड़ा सा पत्थर भी गिरा था, इससे मजदूर डर गये थे और उन्होंने वहां काम करने से इनकार कर दिया था। इस वजह से नये मजदूरों को वहां लगाया था,” अंजार ने कहा।

चूंकि नये मजदूरों को पत्थर गिरने की घटना की जानकारी नहीं थी इसलिए वे काम करने को राजी हो गये।
मजदूरों का कहना है कि आपातकालीन स्थिति में राहत कार्य के लिए वहां कोई उपकरण भी मौजूद नहीं था।
अंजार कहते हैं, “स्लैब गिरने के बाद काफी देर तक मजदूर दबे रहे। ऐसा कोई उपकरण नहीं था जिसकी मदद से स्लैब को हटाया जाता। हमलोगों ने काफी देर के बाद जैसे तैसे राॅड को काटकर शव निकाले, लेकिन तब तक सभी की मृत्यु हो चुकी थी।”
“अगर स्लैब को तुरंत हटा दिया गया होता तो शायद कुछ मजदूर जीवित बच सकते थे,” उन्होंने कहा।
अपने पिता मो. मोबिल को हादसे में खो देने वाले मो. हबीब कहते हैं, “गांव में कोई काम नहीं था, इसलिए चार महीने पहले मैं और अब्बा पुणे काम करने गये हुए थे।”

“मैं दूसरी साइट पर काम कर रहा था। हादसे की जानकारी मिलने के बाद मैं अस्पताल पहुंचा लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी,” मो. हबीब ने मैं मीडिया से कहा।
इस संबंध में पुणे पुलिस के पुलिस उपायुक्त (जोन-4) रोहिदास पवार से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया।
मीडिया रपटों के मुताबिक इस हादसे को लेकर पुणे पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनसे से दो लोग इम्तियाज अब्दुल बरकत अंसारी और मो. शरीफ हबीबुल रहमान आलम बिहार के रहने वाले हैं। दो अन्य महाराष्ट्र के निवासी हैं। पुलिस के मुताबिक, इम्तियाज अब्दुल बरकत अंसारी साइट का सिक्योरिटी इंजीनियर और मो. आलम सुपरवाइजर है।
हादसे के बाद मौके पर पहुंचे बिल्डिंग काॅन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर शिवजी खटके ने मीडिया को बताया था कि हादसा निर्माणाधीन बेसमेंट राफ्ट में हुआ है। “कप लाॅक पोल जो राफ्ट को उठाता है, वो वजन के हिसाब से पर्याप्त नहीं था। इस तरह के वजनदार सामान को उठाने के लिए और सपोर्ट की जरूरत होती है। पिछले 20 सालों में मैंने पहली बार ऐसा हादसा देखा है। अगर एहतियाती कदम उठाये गये होते तो इसे टाला जा सकता था।”

श्रम विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016-17 से 2019-2020 के बीच चार सालों में बिहार मूल के 665 मजदूरों की अलग अलग राज्यों में हादसे में मौत हो चुकी है।
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