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बिहार: जमूई के इस गांव में क्यों हुआ साम्प्रदायिक तनाव?

नीतीश कुमार और खुश्बू पांडेय हिन्दू स्वाभिमान मंच से जुड़े हुए हैं। खुश्बू पांडेय सोशल मीडिया पर अक्सर मुस्लिम विरोधी बयान देती रहती हैं।

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :
bihar why did there be communal tension in this village of jamui

बिहार के जमूई जिले की बलियाडीह पंचायत का बलियाडीह गांव छावनी में तब्दील है और पुलिस की भारी-भरकम टीम गश्त लगा रही है।


गांव के वार्ड नंबर 11 में दर्जनों घरों पर ताले लगे हुए हैं और घर के लोग पुलिसिया कार्रवाई के डर से भागे हुए हैं। इस गांव में 16 फरवरी की दोपहर दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी, जिसके बाद तनाव का माहौल बन गया।

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हालांकि, 16 फरवरी को जो कुछ हुआ, वो कोई अचानक से हुई घटना नहीं है। गांव में एक तनावपूर्ण माहौल तो पिछले छह महीने से बनता आ रहा था। बताया जाता है कि सरस्वती पूजा के दौरान भी तनावपूर्ण माहौल बन गया था। इसी तरह छठ पूजा के वक्त भी तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी। लेकिन, दोनों पक्षों के बीच आपसी सुलह करा दी गई थी। लेकिन, रविवार को मामला आखिरकार बिगड़ गया।


इस पूरे तनाव की जड़ में एक धार्मिक कार्यक्रम है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि पंचायत के आठ नंबर वार्ड में करीब डेढ़ दशक पुराना एक हनुमान मंदिर है, जहां रविवार को हनुमान चालीसा का पाठ रखा गया था। जमूई नगर परिषद के उप मुख्य पार्षद नीतीश कुमार व खुश्बू पांडेय लगभग 40 लोगों के साथ चारपहिया व मोटरसाइकिलों से गांव में पहुंचे थे।

नीतीश कुमार और खुश्बू पांडेय हिन्दू स्वाभिमान मंच से जुड़े हुए हैं। खुश्बू पांडेय सोशल मीडिया पर अक्सर मुस्लिम विरोधी बयान देती रहती हैं।

बलियाडीह पंचायत में कुल 14 वार्ड हैं, जिनमें से 7 वार्ड मुस्लिम बहुल हैं। आबादी में देखें, तो 50 प्रतिशत हिन्दू और 50 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। हनुमान मंदिर वार्ड नंबर 8 में है, जो हिन्दू बहुल गांव है, जबकि जिस मस्जिद के सामने झड़प हुई, वो वार्ड नंबर 11 में है जो मुस्लिम बहुल है।

सूत्र बताते हैं कि गांव के कुछ लोग बजरंग दल से जुड़े हुए हैं, उन्होंने ही नीतीश कुमार और खुश्बू पांडेय को हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए आमंत्रित किया था। इससे पहले भी वे लोग एक बार गांव में आ चुके हैं। बताया जाता है कि छह महीने पहले शिव व पार्वती मंदिर के बीच बाउंड्री बनाने का काम चल रहा था, तो वे लोग आए थे।

मस्जिद वाली सड़क से आने-जाने की जिद

स्थानीय लोगों ने कहा कि जमूई के टहवा से तीन सड़कें मंदिर तक जाती हैं। इनमें से एक सड़क ऐसी है, जहां से मस्जिद होते हुए मंदिर जाया जा सकता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने गये लोगों ने मस्जिद वाला रास्ता लिया।

एक मुस्लिम व्यक्ति ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, “वे लोग जयश्री राम का नारा लगाते हुए जा रहे थे। मस्जिद के पास पहुंच कर वे लोग रुक गये और नारेबाजी करने लगे। उस वक्त अजान हो रहा था और लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे। तनाव उसी वक्त फैल गया था, लेकिन झड़प नहीं हुई और वे लोग मंदिर की तरफ निकल गये।”

हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद उन लोगों ने लौटने के लिए भी वही रास्ता चुना। स्थानीय सूत्रों ने कहा कि पुलिस ने दूसरा रास्ता लेने के लिए कहा था, लेकिन उन लोगों ने नहीं माना। वे लोग जयश्री राम का नारा लगाते हुए उसी रास्ते से जाने लगे। वे लोग जब मस्जिद के पास पहुंचे, तो वहां उनकी गाड़ियों पर पथराव किया गया। उस वक्त पुलिस की गाड़ी भी थी, लेकिन झड़प देखकर वे लोग वहां से फरार हो गये।

इस हमले में नीतीश कुमार, खूश्बू पांडेय समेत तीन चार लोग जख्मी हुए हैं।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 10 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 9 लोग मुस्लिम समुदाय से हैं। खुश्बू पांडेय को भी गिरफ्तार किये जाने की खबर है। इस मामले में जिले के झाझा पुलिस थाने में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। एक एफआईआर में 41 नामजद और 50-60 अज्ञात लोग आरोपी हैं, वहीं दूसरी एफआईआर में आठ नामजद और 50-60 अज्ञात आरोपी हैं।

पुलिस का कहना है कि एक एफआईआर पत्थरबाजी करने वालों खिलाफ दूसरी एफआईआर इतने लोगों के जमावड़े और हनुमान चालीसा का पाठ करने और जुलूस निकालने के लिए कोई अनुमति नहीं लेने और आपत्तिजनक नारेबाजी करने को लेकर दर्ज की गई है।

वार्ड नंबर आठ, जहां मंदिर है, के वार्ड वार्षद श्रवण मोदी ने कहा, “हनुमान चालीसा का पाठ खत्म होने के बाद वे लोग 200 मीटर दूर स्थित शिव मंदिर में गये थे जहां प्रसाद के रूप में खिचड़ी बनाई गई थी। खिचड़ी खाकर वे लोग लौट रहे थे कि मस्जिद के पास उन पर ईंट पत्थर से हमला कर दिया गया।”

पुलिस ने क्या बताया

जमूई पुलिस ने इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि एक समुदाय के द्वारा हनुमान चालीसा का पाठ कर वापस आने के क्रम में दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा ईंट पत्थर, लाठी-डंडे द्वारा हमला किया गया, जिसमें नगर परिषद के उपाध्यक्ष नीतीश कुमार और अन्य दो जख्मी हुई हैं।

जमूई की डीएम अभिलाषा शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बलियाडीह पंचायत में कुछ लोग मंदिर से निकल रहे थे, तो रास्ते में कुछ समुदाय विशेष द्वारा पथराव किया गया। बहुत निंदनीय घटना हुई है और उस पर त्वरित कार्रवाई की गई है। जिले के एसपी मदन कुमार आनंद ने कहा कि बलियाडीह में एक समुदाय के लोग हनुमान चालीसा पाठ करने के लिए गांव में इकट्ठा हुए थे। इनमें गांव के भी लोग थे और गांव के बाहर के भी लोग थे, तभी दो समुदायों के बीच में झड़प हुई।

इधर, इस घटना की खबर मिलते ही भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंची और फ्लैग मार्च निकाला। पंचायत में धारा 144 लागू की गई और इंटरनेट भी बंद किया गया। फिलहाल, स्थिति सामान्य पटरी पर लौट रही है, लेकिन पुलिस की कार्रवाई के भय से अब भी दर्जनों परिवार घरों में ताला जड़कर फरार हैं।

इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को घटना की जानकारी नहीं देने तथा घटनास्थल पर मौजूद रहने के बावजूद घटना को रोक पाने में विफल रहने के चलते पुलिस पदाधिकारी नंदन कुमार को निलंबित किया गया है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि इतनी बड़ी वारदात पहले कभी नहीं हुई और न ही इस तरह बाहरी लोगों ने यहां आकर हनुमान चालीसा का पाठ किया। एक स्थानीय मुस्लिम युवक मोय अख्तर अंसारी ने कहा, “पहली बार बाहरी लोग यहां आये थे हनुमान चालीसा का पाठ करने। और आये भी तो कोई बात नहीं, लेकिन मस्जिद के सामने जाकर जयश्री राम की नारेबाजी का क्या तुक है? और वह भी उस वक्त जब नमाज शुरू हो रहा था?”

उक्त युवक ने कहा, “इस झमेले के चलते हम जैसे निर्दोष लोग परेशान हो रहे हैं। इंटरनेट बंद होने के चलते बैंकिंग लेनदेन नहीं कर पा रहे हैं, जरूरी सामान नहीं खरीद पा रहे हैं। बहुत सारे घरों के लोग घर छोड़कर कहीं और चले गये हैं। उनके मवेशी भूखे मर रहे हैं।”

श्रवण मोदी इस पर कहते हैं, “आज बाहर से लोग आये हैं, तो उन पर आपत्ति जताई जा रही है, कल बारात आएगी, तो आपत्ति जताई जाएगी कि बाहर के लोग क्यों आ रहे हैं। ये तो सही नहीं है। हमलोग चाहते हैं कि जिन्होंने हमला किया है, उन पर कठोर कार्रवाई हो।”

बिहार में दंगे व इंटरनेट शटडाउन

हाल के वर्षों में बिहार में साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। लगभग हर धार्मिक त्यौहारो के दौरान राज्य के किसी न किसी जिले में साम्प्रदायिक तनाव की खबरें सामने आ जाती हैं। धार्मिक त्यौहारों के जुलूसों के दौरान सबसे अधिक दंगे होने की पुष्टि सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड सेकुलरिज्म (सीएसएसएस) की तरफ से ‘हेजिमनी एंड डेमोलिशन: द टेल ऑफ कम्युनल रॉयट्स इन इंडिया इन 2024’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट भी करती है।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2024 में देशभर में कुल 59 दंगे हुए, जिनमें से 26 दंगे धार्मिक जुलूसों के दौरान हुए।

उक्त रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल बिहार में साम्प्रदायिक हिंसा की 7 घटनाएं दर्ज की गईं, जो महाराष्ट्र के बाद दूसरे स्थान पर है। महाराष्ट्र में साल 2024 में सबसे अधिक 12 घटनाएं दर्ज की गई थीं।

रिपोर्ट ये भी बताती है कि वर्ष 2023 के मुकाबले 2024 में साम्प्रदायिक दंगों में 84 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और सबसे अधिक दंगे उन्हीं राज्यों में दर्ज किये गये, जहां भाजपा या तो अकेले सरकार में है या सहयोगी पार्टी है।

वहीं, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022 में बिहार में साम्प्रदायिक/धार्मिक दंगों की कुल 60 घटनाएं हुई थीं, जिनमें कुल 140 लोग प्रभावित हुए थे। उस साल सबसे अधिक दंगे मध्यप्रदेश में दर्ज किये गये थे और बिहार दूसरे नंबर पर था। वहीं, धार्मिक वजहों से बिहार में दो लोगों की हत्याएं भी हुई थीं।

एनसीआरबी ने साल 2023 और साल 2024 की रिपोर्ट अभी प्रकाशित नहीं की है। लेकिन, वर्ष 2023 के अगस्त महीने में बिहार के पांच जिलों में साम्प्रदायिक घटनाएं दर्ज की गई थीं। साल 2023 में ही नालंदा जिले के बिहारशरीफ शहर में रामनवमी जुलूस के दरम्यान स्थानीय मस्जिद में तोड़फोड़ की गई थी और एक मदरसे व उसकी लाइब्रेरी को आग के हवाले कर दिया गया था।

साम्प्रदायिक तनाव के बाद इंटरनेट शटडाउन की घटनाएं भी बिहार में बढ़ी हैं। जमूई की घटना के तुरंत बाद दो दिनों के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। पिछले साल भी कई जगहों पर दंगों के चलते इंटरनेट सेवा रद्द करनी पड़ी थी।

वर्ष 2023 में रामनवमी जुलूस के दौरान भड़की हिंसा को लेकर नालंदा जिले के बिहारशरीफ शहर में कई दिनों तक इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी थी। साल 2023 में ही साम्प्रदायिक हिंसा के मद्देनजर राज्य के चार जिलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। साल 2024 में सारण जिले में इंटरनेट सेवा बंद की गई थी।

‘लेट दी नेट वर्क 2.0’ शीर्षक से प्रकाशित सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2023 में बिहार में आठ बार इंटरनेट शटडाउन किया गया। अगर घंटों की बात करें, तो कुल 386 घंटे तक इंटरनेट सेवा बंद रही। इनमें से छह बार इंटरनेट शटडाउन हिंसा के मद्देनजर और दो बार गलत सूचनाओं को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट शटडाउन किया गया।

रिपोर्ट में लिखा गया है, “बिहार में इंटरनेट शटडाउन के साथ विभिन्न मोबाइल ऐप्स भी ब्लॉक करने का भी आदेश आता है और इनमें से कई ऐप्स तो अस्तित्व में भी नहीं हैं।”

रिपोर्ट आगे कहती है कि इंटरनेट सेवा के साथ साथ मैसेजिंग प्लेटफॉर्म को भी ब्लॉक करना कई बार बैकफायर कर सकता है क्योंकि शटडाउन रिअल टाइम में फैक्चचेक करने की पत्रकारों व फैक्टचेकर्स की क्षमता को सीमित कर देता है व प्रामाणिक आनलाइन सूचनाओं के अभाव के चलते गलत सूचनाएं व अफवाहें ऑफलाइन माध्यमों से लोगों तक पहुंचती है, जिससे मामला और भी संगीन हो जाता है।

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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