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बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक (संशोधन) नियमावली 2024 क्या कहती है?

बिहार सरकार ने बिहार स्कूल एक्सक्लूसिव टीचर्स (संशोधन) नियम, 2024 या बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक (संशोधन) नियमावली 2024 को अधिसूचित किया है

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bihar school exclusive teachers (amendment) rules, 2024

बिहार सरकार ने बिहार स्कूल एक्सक्लूसिव टीचर्स (संशोधन) नियम, 2024 या बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक (संशोधन) नियमावली 2024 को अधिसूचित किया है। इस नियमावली में शिक्षकों की भर्ती, स्थानांतरण, अनुशासन और शिकायत निवारण से संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं। ये नियम बिहार स्कूल एक्सक्लूसिव टीचर्स नियम, 2023 में बदलाव करते हुए शिक्षकों की कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए लाए गए हैं। ये संशोधित नियम पूरे बिहार राज्य में लागू होगा और अधिसूचना जारी होने के साथ ही प्रभावी हो गया है।


विशिष्ट शिक्षक

नए नियमों के तहत, सभी स्थानीय निकाय शिक्षकों के लिए क्षमता परीक्षण आयोजित किया जाएगा। यह परीक्षण दो वर्षों की अवधि में पूरा होगा और शिक्षकों को इसे पास करने के लिए पांच मौके दिए जाएंगे। परीक्षा में सफल शिक्षकों को “एक्सक्लूसिव टीचर (विशिष्ट शिक्षक)” के रूप में नियुक्त किया जाएगा। नियुक्ति के बाद इन शिक्षकों को अपने पहले से निर्धारित स्कूलों में तैनाती दी जाएगी। परीक्षा पास करने और दस्तावेज़ सत्यापन के बाद उनकी सेवा स्थायी की जाएगी। इसके साथ ही, एक्सक्लूसिव टीचर के रूप में नियुक्त होने के बाद शिक्षकों के पास पूर्व पद पर लौटने का विकल्प नहीं होगा।

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स्थानांतरण नीति में भी कई अहम बदलाव किए गए हैं। अब एक्सक्लूसिव टीचर्स का स्थानांतरण राज्य के भीतर किया जा सकेगा। जिला स्तरीय समितियों के माध्यम से शिक्षक-छात्र अनुपात और प्रशासनिक जरूरतों के आधार पर स्थानांतरण किए जाएंगे। अनुशासनात्मक कारणों, जैसे स्कूल में देरी से आना, पढ़ाई के माहौल को खराब करना, या अन्य शिक्षकों को बाधा पहुंचाने के मामले में शिक्षकों को प्रखंड या जिले से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है। इन मामलों में स्थानांतरण का आदेश जिला शिक्षा अधिकारी या संबंधित विभाग के निदेशक द्वारा जारी किया जाएगा।


अनुशासनात्मक कार्रवाई

शिक्षकों के लिए एक आचार संहिता भी लागू की गई है। इसके तहत शिक्षकों को सरकारी आदेशों का पालन करना, समय पर स्कूल आना, कक्षाओं का संचालन करना, और पाठ योजना का पालन करना अनिवार्य होगा। शिक्षकों को राजनीति में भाग लेने, कोचिंग देने या किसी अन्य व्यवसाय में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही, बच्चों के मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न को रोकने और सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह और दहेज प्रथा के उन्मूलन में सक्रिय भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाएगी।

अनुशासनात्मक कार्रवाई के प्रावधान भी सख्त किए गए हैं। अनुशासनहीनता, वित्तीय अनियमितता या अन्य उल्लंघनों के लिए शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी। सजा में बर्खास्तगी, अनिवार्य सेवानिवृत्ति, पदावनति और वित्तीय दंड शामिल हो सकते हैं। किसी भी शिक्षक को 48 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रहने पर डिफॉल्ट सस्पेंशन माना जाएगा। इसके अतिरिक्त, अनुपस्थित पाए जाने पर “नो वर्क, नो पे” नियम लागू किया जाएगा।

शिकायत निवारण के लिए शिक्षकों को अनुशासनात्मक आदेशों के खिलाफ अपील करने का अधिकार दिया गया है। क्षेत्रीय उप निदेशक के पास अपील की जा सकेगी, और यदि वहां से आये आदेश असंतोषजनक हो, तो संभागीय आयुक्त के पास पुनरीक्षण के लिए आवेदन किया जा सकता है। अपील और पुनरीक्षण के मामलों को क्रमशः 30 दिनों के भीतर निपटाने का प्रावधान किया गया है।

सरकार का दावा है कि यह कदम शिक्षकों की जवाबदेही बढ़ाने और राज्य में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है तथा इससे न केवल शिक्षकों की कार्यप्रणाली सुधरेगी, बल्कि छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा।

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