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बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन की पहली बैठक में क्या-क्या हुआ?

महागठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमेटी कितनी कारगर होगी?

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :
bihar elections 2025 what happened in the first meeting of the grand alliance

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में लम्बे समय से ये मांग उठती रही थी कि गठबंधन में शामिल पार्टियों के नेताओं को लेकर एक को-ऑर्डिनेशन कमेटी बननी चाहिए। गुरुवार को राजद कार्यालय में महागठबंधन में शामिल सभी छह पार्टियों – राजद, कांग्रेस, भाकपा (माले)-लिबरेशन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेताओं ने एक अहम बैठक कर आखिरकार आपसी सहमित से को-ऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया।


इस कमेटी की अध्यक्षता राजद नेता व पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव करेंगे और कमेटी में महागठबंधन में शामिल सभी पार्टियों के दो-दो नेता शामिल रहेंगे। “सभी पार्टियां अगले दो तीन दिनों में दो-दो नेताओं के नाम देंगी कमेटी में शामिल करने के लिए,” एक सूत्र ने बताया।

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लगभग ढाई घंटे तक चली इस बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर सभी पार्टियों के नेताओं ने अपनी बातें रखीं और कहा कि सभी गठबंधन पार्टियां मजबूती के साथ और जमीनी मुद्दों पर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगी।


तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार की गरीबी, बेरोजगारी, महिलाओं की स्थिति आदि महागठबंधन के एजेंडे में है और 20 साल की खटारा सरकार के खिलाफ बिहार के लोगों में भारी गुस्सा व नाराजगी है। “हमलोग बिहारवासियों की आवाज बनेंगे और उनके हर मुद्दे को उठाएंगे तथा बिहार में जनता की सरकार बनाएंगे,” उन्होंने कहा।

कांग्रेस की तरफ से बैठक में शामिल हुए प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा, “महागठंबधन में शामिल दलों में अब किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन नहीं है। हमलोग एकता बनाकर और मुद्दों की स्पष्टता के साथ चुनाव लड़ेंगे।” “हमलोगों में मुद्दों को लेकर स्पष्टता है। हमलोग जनता के मुद्दों के इर्द-गिर्द चुनाव लड़ेंगे और जनता की आवाज बनकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह से सवाल करेंगे।”

को-ऑर्डिनेशन कमेटी की अध्यक्षता कौन करेगा, इसकी जानकारी अल्लावरू ने दी। उन्होंने कहा कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी की अध्यक्षता तेजस्वी यादव करेंगे और ये कमेटी समय समय पर बैठक कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेगी।

महागठबंधन की बैठक में तेजस्वी यादव की ठीक दाईं तरफ विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक मुकेश साहनी बैठे थे। पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रेस कॉन्फ्रेंस को वह बीच में ही छोड़कर निकल गये थे। इस बार के प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि महागठबंधन अटूट है और विकासशील इंसान पार्टी के तेवर में भी कोई बदलाव नहीं आया है। मुकेश साहनी ने कहा कि बिहार में लालूजी की विचारधारा वाली सरकार बनाई जाएगी।

संयुक्त सोशल मीडिया टीम, जिलास्तरीय नेताओं के साथ बैठक

साल 2020 के विधानसभा चुनाव को देखें, तो महागठबंधन के घटक दलों के बीच आपसी सामंजस्य का घोर अभाव था, जिसका खामियाजा महागठबंधन को चुनाव परिणाम के रूप में भुगतना पड़ा था। इस बार इस तरह का मुद्दा आड़े न आए, इसकी पुरजोर कोशिश हो रही है।
यही वजह रही कि दिल्ली में तेजस्वी यादव की कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात के तुरंत बाद पटना में गुरुवार को महागठबंधन में शामिल पार्टियों की बैठक कर कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई गई।

बैठक में शामिल भाकपा (माले)-लिबरेशन के राज्य सचिव कुणाल ने कहा, “को-ऑर्डिनेशन कमेटी की जरूरत तो लम्बे समय से थी और हमलोग लगातार इसकी मांग भी कर रहे थे, मगर इस पर कोई सकारात्मक रुख नहीं दिख रहा था। अब जाकर आखिरकार ये कमेटी बनी है।”

“कमेटी बन जाने से काफी फायदा होगा। बहुत सारे जरूरी मुद्दों पर सभी पार्टियों की राय एक होगी और सभी पुरजोर तरीके से इन मुद्दों को उठायेंगे। इस कमेटी से ये भी फायदा होगा कि सीट बंटवारे से लेकर सोशल मीडिया पर प्रचार और मेनिफेस्टो बनाने तक में आपसी तालमेल रहेगा,” उन्होंने कहा।

सूत्रों ने बताया कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी के जरिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम के लिए ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया जाएगा और मेनिफेस्टो भी महागठबंधन की तरफ से ही जारी किया जाएगा। सूत्र ने ये भी बताया कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी की तरफ से एक सोशल मीडिया टीम बनाई जाएगी, जिसमें गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों के रंगरूट रहेंगे। “इससे सोशल मीडिया पर किसी एक पार्टी का संदेश नहीं बल्कि महागठबंधन का संदेश जाएगा। हमलोग सोशल मीडिया के जरिए युद्धस्तर पर प्रचार करेंगे,” बैठक में शामिल एक अन्य नेता ने कहा।

एक विश्वस्त सूत्र की मानें, तो इस बार महागठबंधन का प्लान सिर्फ शीर्ष स्तरीय नेताओं के आपसी तालमेल तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि जिला व प्रखंड स्तर पर भी तालमेल बिठाने की कोशिश की जाएगी। “सभी पार्टियों ने ये तय किया है कि जिला व प्रखंडस्तरीय नेता भी एक दूसरे के साथ मिलकर काम करेंगे। इसके लिए संभवतः मई के पहले हफ्ते में ही महागठबंधन के सभी घटक दलों के जिलाध्यक्षों व प्रखंड स्तर के नेताओं की एक बैठक की जाएगी। बैठक में उन्हें बताया जाएगा कि किस तरह गठबंधन दलों के साथियों के साथ मिलकर चुनाव में काम करना है,” उक्त सूत्र ने जानकारी दी।

राजनीतिक विश्लेषक महेंद्र सुमन को-ऑर्डिनेशन कमेटी के गठन को महागठबंधन की सकारात्मक पहल मानते हैं। “को-ऑर्डिनेशन कमेटी नहीं होने से महागठबंधन के घटक दल कुछ भी बोलते रहते थे, जिससे गठबंधन की फजीहत ही होती थी। कमेटी बन जाने से किसी भी मुद्दे पर सभी पार्टियों की राय एक होगी। ये एक अच्छी पहल है,” उन्होंने कहा।

how effective will the coordination committee of the grand alliance be

क्या होंगे कोर मुद्दे

प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेताओं ने गरीबी, बेरोजगारी, वृद्धा पेंशन, अपराध जैसे मुद्दों को चुनाव में उठाने की बात कही। लेकिन, इन सबके अलावा कुछेक अन्य मुद्दों पर भी बैठक में चर्चा की गई है, जिस पर अभी और बात होनी है, मसलन की सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति।

बैठक में शामिल एक अन्य नेता ने कहा, “बिहार में शिक्षकों की बहाली में डोमिसाइल नीति लागू नहीं थी, तो भारी संख्या में दूसरे राज्यों के युवाओं को नौकरी मिली और बिहार के युवा वंचित रह गये। इसको लेकर युवाओं में गुस्सा है। ये हमारे लिए बेहद अहम मुद्दा है और हमलोग चुनाव में इसे जोरशोर से उठाएंगे। हालांकि, डोमिसाइल नीति कितनी प्रतिशत नौकरियों पर लागू करने की मांग उठाई जाएगी, इसको लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है। कुछ लोग शत प्रतिशत सीटों पर डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग कर रहे थे तो कुछ नेताओं ने 70 प्रतिशत सीटों पर ये नीति लागू करने की वकालत की।” डोमिसाइल नीति लागू होने पर किसी भी राज्य की सरकारी नौकरियो पर उक्त राज्य के मूल निवासियों का अधिकार होता है। बिहार में भी डोमिसाइल नीति लागू थी, जिसे खत्म कर दिया गया है।

“इसके अलावा 65 प्रतिशत आरक्षण भी बहुत जरूरी मुद्दा है, जिसे चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा,” उन्होंने कहा। जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर नीतीश सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत की थी, लेकिन अदालत में इसे चुनौती दी गई, तो कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है।

राजद द्वारा प्रचारित की जा रही माई-बहन सम्मान योजना को लेकर उक्त नेता ने कहा, “इस मुद्दे पर भी बातचीत हुई और सभी नेता इस मुद्दे को चुनाव मुद्दा बनाने पर राजी हो गये हैं।”

को-ऑर्डिनेशन कमेटी की सफलता सीट बंटवारे पर निर्भर

बैठक के दौरान सियासी फिजा में चर्चा थी कि सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा हुई है और अलग अलग पार्टियों ने सीटों की डिमांड रखी है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने 70 सीटों की मांग रखी है, तो वहीं मुकेश साहनी 60 सीट चाहते हैं। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सीटों को लेकर बैठक में ठोस तौर पर कोई चर्चा नहीं हुई है।

“इस बैठक में चर्चा का केंद्र बिन्दू को-ऑर्डिनेशनल कमेटी और इसका कामकाज ही था। को-ऑर्डिनेशन कमेटी की अगली बैठक 24 अप्रैल को होगी, जिसमें कुछ और मुद्दों पर चर्चा होगी। हो सकता है कि सीटों के बंटवारे पर भी प्राथमिक चर्चा हो,” एक सूत्र ने बताया।

यहां यह भी गौरतलब हो कि महागठबंधन के घटक दलों के बीच तालमेल की सारी कोशिशें तब बेकार हो जाती हैं, जब बात सीटों के बंटवारे पर आती है।

वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं, कांग्रेस को 70, भाकपा(माले)-लिबरेशन को 19, भाकपा को 6 और माकपा को 4 सीटें मिली थीं।

उक्त चुनाव में महागठबंधन में पांच पार्टियां ही शामिल थीं, लेकिन इस बार मुकेश साहनी भी महागठबंधन का हिस्सा हैं और पशुपति पारस, जिन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई है, एनडीए से अलग हो चुके हैं और जल्द ही महागठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं। ऐसे में सीटों को लेकर खींचतान संभावित है।

इस खींचतान की स्थिति से बचने के लिए इस बार महागठबंधन के दल कोशिश कर रहे हैं कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी के जरिए ही सीटों का बंटवारा हो। “इस बार सीटों का बंटवारा को-ऑर्डिनेशन कमेटी करेगी और उम्मीद है कि सभी दलों की भावनाओं का सम्मान किया जाएगा,” कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “महागठंबधन के हित में राजद को बड़ा दिल दिखाना होगा, ताकि सभी पार्टियों को सम्मानजनक सीटें मिल सके।”

उम्मीद की जा रही थी कि इस बैठक में ही ये भी तय हो जाएगा कि मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, लेकिन इस सवालों को सभी नेताओं ने ये कहकर टाल दिया कि सबकुछ एक ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं बोलेंगे। अलबत्ता, को-ऑर्डिनेशन कमेटी का अध्यक्ष तेजस्वी यादव को बनाया गया है, तो ये लगभग तय माना जा रहा है कि तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे।

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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