राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर पटना के गांधी मैदान स्थित एएन सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान में “बिहार डिजिटल मीडिया समिट” का आयोजन हुआ। इसका विषय “सोशल मीडिया के युग में समाचार” था, जो प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के 2024 के फोकस “प्रेस की बदलती प्रकृति” से मेल खाता है। इस आयोजन ने पत्रकारिता छात्रों और डिजिटल मीडिया क्रिएटर्स को संवाद और नवाचार के लिए एक मंच प्रदान किया।
कार्यक्रम की शुरुआत पत्रकार सुजीत झा (बिहार ब्यूरो चीफ, आज तक/इंडिया टुडे) और शिवपुजन झा के संबोधनों से हुई। दोनों ने सोशल मीडिया के दौर में पत्रकारिता की जिम्मेदारियों और विश्वसनीयता पर जोर दिया।
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सुजीत झा ने कहा, “सोशल मीडिया ने खबरों को तेज़ और सुलभ बनाया है, लेकिन इसकी विश्वसनीयता सुनिश्चित करना आज की सबसे बड़ी चुनौती है।”
वहीं, शिवपुजन झा ने कहा, “डिजिटल युग में पत्रकारों को नए और पारंपरिक तरीकों का सही संतुलन बनाना होगा।”
कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों ने इन दिग्गज पत्रकारों से प्रेरणा ली और अपने सवालों के माध्यम से डिजिटल युग में पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को समझने की कोशिश की।
पैनल चर्चाओं में उभरे कई दृष्टिकोण
समिट में दो पैनल चर्चाओं का आयोजन किया गया, जिन्होंने पत्रकारिता और सोशल मीडिया के रिश्ते पर गहराई से विचार-विमर्श किया।
पहली पैनल चर्चा “न्यूज इन्फ्लुएंसर बनने की यात्रा” पर आधारित थी। इस सत्र में रिपोर्टर अंजलि (इंडियन स्टोरीज), तनज़ील आसिफ (मैं मीडिया), और आमिर अब्बास (डेमोक्रेटिक चर्खा) ने भाग लिया।
पैनल का संचालन सेंट जेवियर कॉलेज, पटना के पत्रकारिता विभाग के फैकल्टी प्रिय मनीष कुमार ने किया। पैनलिस्टों ने स्वतंत्र समाचार प्लेटफाॅर्मों की चुनौतियों और उनके विकास में आने वाले अवसरों पर चर्चा की।
तनज़ील आसिफ ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “स्वतंत्र प्लेटफॉर्म समाज की अनदेखी आवाज़ों को उठाने के लिए एक सशक्त माध्यम हैं।”
दूसरी पैनल चर्चा का विषय था “सोशल मीडिया के युग में समाचार”। इस सत्र में उमेश के. राय (संपादक, मैं मीडिया) और नीतू सिंह (संस्थापक, शेड्स ऑफ रूरल इंडिया) शामिल हुए। चर्चा में सोशल मीडिया को खबरों के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने की जटिलताओं पर विचार किया गया।
नीतू सिंह ने कहा, “सोशल मीडिया ग्रामीण क्षेत्रों की अनसुनी कहानियों को मुख्यधारा में लाने का एक कारगर माध्यम हो सकता है।”
छात्रों का उत्साह और आयोजन की उपलब्धियां
कार्यक्रम को और रोचक बनाने के लिए नारा लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें 150 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। पुष्प राज (एमिटी यूनिवर्सिटी) ने सर्वश्रेष्ठ नारा पुरस्कार जीता। वहीं, प्रत्येक पैनल चर्चा में पूछे गए सबसे अच्छे सवालों को भी पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम के आयोजक कुणाल रंजन ने कहा, “यह समिट छात्रों और स्वतंत्र क्रिएटर्स को जोड़ने, सिखाने और उन्हें नवाचार के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास है। हमारा उद्देश्य डिजिटल मीडिया में बिहार को नई पहचान दिलाना है।”
सेंट जेवियर कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रिय मनीष कुमार ने कहा, “सोशल मीडिया क्रिएटर्स समाज में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं और पत्रकारिता में एक नई दिशा स्थापित कर सकते हैं।”
“बिहार डिजिटल मीडिया समिट” ने डिजिटल युग में पत्रकारिता की नई चुनौतियों और संभावनाओं पर संवाद का अवसर दिया। यह आयोजन डिजिटल मीडिया को बढ़ावा देने और इसे बिहार के पत्रकारिता छात्रों के लिए प्रासंगिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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