कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड की अरिहाना पंचायत के मरंगी टोले में सड़क पर मिट्टी डालने के लिए किये गये गड्ढे में गिरने से 8 साल के एक बच्चे इमरान की मौत की घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने कहा है कि गड्ढे को लेकर उन्होंने पहले ही आगाह किया था।
स्थानीय महिला फातेमा ने बताया कि लगभग दो महीने पहले जब गड्ढा खोदा जा रहा था, तो उन्होंने ठेकेदार से कहा था कि खेतों से सटा कर इतना बड़ा गड्ढा न खोदा जाए, लेकिन ठेकेदार ने ध्यान नहीं दिया।
“ठेकेदार ने पुलिस बुला कर गिरफ्तार करवा देने की धमकी दी थी। इसी डर से ग्रामीणों ने कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं की,” उन्होंने कहा।
ग्रामीण बताते हैं कि ठेकेदार द्वारा मनमाने तरीके से मानक से ज्यादा मिट्टी सड़क के दोनों किनारों से काटी जा रही है जिससे सड़क और भी ज्यादा कमजोर हो जाएगी।
ये इलाका बाढ़ प्रवण है और हर साल यहां भीषण बाढ़ आ जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाढ़ में जब इलाके में पानी भर जाएगा, तो सड़क और गड्ढा बराबर हो जाएगा। उस समय बच्चों के डूबने की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
15 फरवरी को क्या हुआ था
घटना की चश्मदीद और मृतक इमरान की नानी नशिबन खातून ने बताया, “घटना से कुछ देर पहले ही मैंने इमरान से बात की थी, इमरान ने बताया था कि वह बकरी के लिए घास लाने जा रहा है। लेकिन, थोड़ी देर बाद ही उसके चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। दौड़कर जाने पर देखा कि आवाज एक गड्ढे से आ रही है।”
“जब गड्ढे के पास गई तो देखा कि गड्ढे में एक बच्चा सीने तक मिट्टी में धंसा हुआ है,” उन्होंने कहा।
उस बच्चे ने बताया कि मिट्टी में दो और बच्चे ओबेद और इमरान दबे हुए हैं, लेकिन वे दिखाई नहीं दे रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा जब कुदाल से खोद कर मिट्टी हटाई गई, तो दोनों बच्चे बेहोश मिले।
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मिट्टी खोदकर बच्चे को डॉक्टर तक पहुंचाने वालों में स्थानीय ग्रामीण अलीफुल भी थे। उनका कहना है कि बच्चों के ऊपर इतनी मिट्टी थी कि उन्हें निकालने के लिए 15 लोगों द्वारा लगभग 10 मिनट तक मिट्टी को खोदना पड़ा।
अलीफुल ने कहा कि अगर गांव के आसपास कोई अस्पताल होता तो बच्चे की मौत नहीं होती। इलाज के लिए यहां के लोगों को सालमारी जाना पड़ता है।
तीन भाई बहनों में इमरान सबसे बड़ा था और मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा था। उनकी मां जारेबा मुस्तफी कहती हैं कि इमरान गांव के ही सरकारी स्कूल में तीसरी क्लास में पढ़ता था। “अब तो वह अपना नाम लिखना और परिवार वालों का भी नाम लिखना सीख गया था,” वे कहती हैं।
इमरान अक्सर अपनी मां से पूछता था कि हमारा घर मिट्टी का क्यों है? वह बड़ा होकर अपने पिता के साथ काम करना चाहता था ताकि मिट्टी के घर को तोड़ कर पक्का मकान बना सके।
लेकिन, सड़क निर्माण में लगे ठेकेदार की लापरवाही की वजह से उसका ये सपना अब सपना ही रह गया।
इमरान के पिता अबराज़ प्रवासी मजदूर हैं। काम नहीं मिलने के कारण वह इन दिनों घर पर ही हैं। इकलौते बेटे के मौत ने उन्हें तोड़ कर रख दिया है।
इमरान की नानी नशिबन खातून के अनुसार, अब तक कोई भी सरकारी व्यक्ति या ठेकेदार देखने नहीं आया और ना ही प्रशासन द्वारा कोई खबर ली गई।
ठेकेदार को खरीदकर मिट्टी दे रहे ग्रामीण
फातिमा ने बताया कि ठेकेदार ने कहा था कि सड़क के दोनों किनारे से मिट्टी काटी जाएगी और सड़क के किनारे जिसका भी घर या दरवाजा है, अगर वो मिट्टी काटने नहीं देगा, तो घर वालों को कहीं बाहर से उतनी ही मिट्टी सड़क बनाने के लिए देनी होगी, तभी सड़क बनेगी।
मजबूर होकर कई खेत वालों ने फसल बचाने के लिए अपने पैसे से मिट्टी खरीद कर ठेकेदार को दिया।
गड्ढे में गिर कर जिंदा बचने वाले बच्चे में से सिराज की मां शाहिना खातून ने कहा कि उनके पति नूर आलम ने ठेकेदार को ₹2000 की मिट्टी खरीद कर दी है, लेकिन ठेकेदार ने कहा कि यह मिट्टी बालूवा टाइप की है, इसीलिए अच्छी क्वालिटी की मिट्टी फिर से लाकर देनी होगी।
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