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धंसा गया किशनगंज का बांसबाड़ी पुल, बिहार में 10 दिनों के अन्दर चौथा पुल हादसा

पुल पिछले कुछ माह पहले धंसना शुरू हुआ था और अब नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से नदी का जलस्तर बढ़ गया तो पुल इसका दबाव सह नहीं सका। स्थानीय निवासी मो. आरिफ़ बताते हैं कि इस पुल के डैमेज होने को लेकर प्रशासन को 2017 में ही आगाह किया गया था, लेकिन, प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली।

Avatar photo Reported By Amit Singh and Nawazish Alam |
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bansbari bridge collapsed in kishanganj

बिहार में पुल धंसने और गिरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। पुल धंसने का ताज़ा मामला किशनगंज ज़िले में हुआ है, जहां बहादुरगंज प्रखंड के बांसबाड़ी में बुधवार को मरिया धार पर बना एक पुल धंस गया। ज़िले के बहादुरगंज प्रखंड स्थित बांसबाड़ी श्रवण चौक के क़रीब मरिया नदी पर बना यह पुल बारिश के पानी का दबाव नहीं सह सका और पुल के बीच का पाया धंस गया। पुल को जोड़ने वाला अप्रोच पथ भी पूरी तरह से धंस चुका है। फिलहाल पुल पर आवागमन रोक दिया गया है।


बताते चलें कि ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा वर्ष 2011 में लगभग 25 लाख रुपये की लागत से इस पुल का निर्माण किया गया था। पुल की लंबाई लगभग 70 मीटर और चौड़ाई 12 मीटर है। यह पुल जिले के दिघलबैंक प्रखंड को एनएच-327 ई से मिलाता है। साथ ही यह पुल दिघलबैंक प्रखंड को बहादुरगंज प्रखंड से भी जोड़ता है।

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“पुल गिरने से सारा काम ठप पड़ा हुआ है”

पुल पिछले कुछ माह पहले धंसना शुरू हुआ था और अब नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से नदी का जलस्तर बढ़ गया तो पुल इसका दबाव सह नहीं सका। स्थानीय निवासी मो. आरिफ़ बताते हैं कि इस पुल के डैमेज होने को लेकर प्रशासन को 2017 में ही आगाह किया गया था, लेकिन, प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली।


“2017 में इस पुल का डैमेज रिपोर्ट किया गया था। विभाग क्या किया, नहीं किया, नहीं पता। अभी तक कोई आश्वासन नहीं दिया। धरातल पर कोई काम भी नहीं हुआ। पुल आज ख़त्म हो गया। लोगों की आवाजाही बंद हो गई। बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया। सारा काम ठप पड़ा हुआ है यहां पर,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “यह पुल बहुत महत्वपूर्ण है। दिघलबैंक प्रखंड के जितने पदाधिकारी हैं, सब का इधर से ही आवागमन होता है। यह पुल दिघलबैंक को बहादुरगंज से जोड़ता है। लगभग 20 बस्ती को यह पुल जोड़ता है। पुल कमज़ोर बनने का कारण विभाग की लीपापोती और कमीशनख़ोरी है। हम मांग करते हैं कि जितनी जल्दी हो पुल पर आवागमन को बहाल किया जाये।”

‘घटिया सामग्री हुआ इस्तेमाल’

पुल निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने बताया कि इस पुल निर्माण में कमीशनखोरी इतनी हुई है कि यह पुल अपने निर्माण के छह वर्ष बाद ही यानी कि 2017 में ही डेमेज होना शुरू हो गया था।

स्थानीय ग्रामीण मंज़र आलम बताते हैं कि इस पुल के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ है, इसलिये यह पुल इतनी जल्दी धंस गया।

“पुल धंसने की वजह यह है कि इसमें लो (घटिया) मैटेरियल से काम किया गया है। 10 साल भी नहीं हुआ है और पुल टूट कर धंस गया। हमलोग उस वक़्त भी विरोध किये थे तो बोला गया कि इस्टीमेट के आधार पर पुल बना रहे हैं,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “हमलोगों के आने-जाने का मेन रास्ता यही है। पुल गिरने की वजह से हमलोग कहीं आ-जा नहीं सकते हैं। प्रशासन से हमलोग मांग करते हैं कि जल्द से जल्द इस पुल की मरम्मत की जाये। इसको दुरुस्त किया जाये बेहतर तरीक़े से।”

मामले को लेकर ‘मैं मीडिया’ ने ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी गौरव कुमार से बात करने की कोशिश की, लेकिन, वह अपने कार्यालय से अनुपस्थित मिले। वहीं, मैं मीडिया’ ने जब ग्रामीण कार्य विभाग के सहायक अभियंता श्रवण कुमार सहनी से पुल के धंसने को लेकर पूछा तो कैमरा देखते ही वह बचते नजर आये।

घटना को लेकर किशनगंज के ज़िला पदाधिकारी तुषार सिंग्ला ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को हिदायत दी है कि जल्द से जल्द पुल के एप्रोच को बनाया जाये। उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही पानी का स्तर कम होगा, वहां पर काम शुरू कर दिया जायेगा।

“हमने देखा है बहादुरगंज के बांसबाड़ी पुल के बारे में। वहां पर हमारे सीओ, एसएचओ और बीडीओ ने कल फील्ड वर्क किया था। हमने हिदायत भी दी है कि रास्ते के एप्रोच का काम करवाया जाये। अभी कुछ दिनों से बारिश भी कम हुई है, कल परसों ज़्यादा बारिश हुई थी। जैसे ही पानी का स्तर कम होता है, उसको सुधार कर दिया जायेगा,” उन्होंने कहा।

पिछले सप्ताह अररिया में भी गिरा पुल

उल्लेखनीय है कि एक सप्ताह पहले अररिया ज़िले के सिकटी-कुर्साकांटा के बीच बकरा नदी के परड़िया घाट पर बन रहा निर्माणाधीन पुल गिर गया था। परड़िया पुल के दो पिलर और उस पर लगे स्लैब ज़मींदोज़ हो गए थे। ग्रामीणों ने इस पुल में भी घटिया सामग्री इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।

इसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार विभाग को सूचना भी दी थी, लेकिन, कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई और लीपापोती कर काम चालु रखा गया।

पुल गिरने के बाद विवाद बढ़ता देख इसकी जांच शुरू की गई। जांच में ठेकेदारों और इंजीनियरों की लापरवाही भी सामने आई। इसलिए, तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अंजनी कुमार, जूनियर इंजीनियर वीरेंद्र प्रसाद और मनीष कुमार को निलंबित कर दिया गया।

साथ ही ठेकेदार सिराजुर रहमान पर एफआईआर दर्ज कर उनकी कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश भी दिया गया। हादसे की उच्चस्तरीय जांच भी शुरू कर दी गई है।

10 दिनों में चौथा पुल हादसा

बताते चलें कि पिछले दस दिनों के अन्दर बिहार में पुल गिरने या धंसने की यह चौथी घटना है। अररिया के पुल गिरने के अलावा 22 जून को सिवान में दरौंदा-महाराजगंज को जोड़ने वाला नहर पर बना पुल भी ढह गया।
इसी प्रकार, 23 जून को पूर्वी चंपारण ज़िले के मोतिहारी में घोड़ासहन प्रखंड में भी एक निर्माणाधीन पुल गिर गया।

2 साल के अन्दर गिरे 10 से ज़्यादा पुल

आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 से लेकर अब तक बिहार में एक दर्जन से अधिक निर्माणाधीन पुल गिर चुके हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि ये हादसे तब हुए जब पुलों को आम जनता के लिए खोला नहीं गया था, वरना बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।

इसी साल सुपौल में कोसी नदी पर बन रहा भेजा-बकौर पुल गिर गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। वहीं, नौ लोग इस हादसे में घायल हो गए थे। सुपौल में बन रहे देश के सबसे लंबे इस पुल के निर्माण में सेगमेंट चढ़ाने के दौरान यह हादसा हुआ था। निर्माणाधीन हाई लेवल ब्रिज के दो पिलर के बीच 15 सेगमेंट लगाये जाने थे। रात भर चले काम के दौरान 14 सेगमेंट लगा दिये गये थे। अंतिम सेगमेंट लगाने के दौरान एक झटके में पूरा स्ट्रक्चर गिर गया था।

इसी तरह, पिछ्ले साल 4 जून को सुलतानगंज-अगुवानी गंगा घाट पर 1700 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे पुल का हिस्सा गिर गया था। ये पुल साल 2022 में भी गिरा था। पिछले ही साल पटना और पूर्णिया में भी निर्माणाधीन पुल गिर गए थे।

लगातार गिरते पुलों के बावजूद सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर लोगों की जान के साथ सरकार खिलवाड़ क्यों कर रही है? साथ ही यह सवाल भी पैदा हो रहा है कि ठीक से काम नहीं करने वाले निर्माण एजेंसियों के ख़िलाफ सख़्त कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है?

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Amit Kumar Singh, a native of Kishanganj, Bihar, holds a remarkable 20-year tenure as a senior reporter. His extensive field reporting background encompasses prestigious media organizations, including Doordarshan, Mahua News, Prabhat Khabar, Sanmarg, ETV Bihar, Zee News, ANI, and PTI. Notably, he specializes in covering stories within the Kishanganj district and the neighboring region of Uttar Dinajpur in West Bengal.

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