भारत सरकार ने पिछले तीन दशकों में अलग-अलग अधिनियम लाकर हाथ से मैला ढोने को रोज़गार के तौर पर प्रतिबंधित कर दिया है। लेकिन, बिहार के किशनगंज में अब भी दलित समुदाय से आने वाले युवा हाथ से मैला ढोने के रोज़गार में लगे हुए हैं।
‘पुलिस में जाना चाहते थे’
राजा बास्को ने किशनगंज शहर के मशहूर इंटर हाई स्कूल से दसवीं पास हैं। सिर्फ दो नंबर से फर्स्ट डिवीज़न नहीं कर पाए, इसका दुःख उन्हें आज भी है। ख्वाब था पढ़ाई कर पुलिस की नौकरी में जाएंगे, और उम्मीद थी काम के साथ पढ़ाई कर दसवीं पास करने बाद कम से कम सफाई के काम में ही सरकारी नौकरी मिल जायेगी। लेकिन, अब 400 रुपए की दिहाड़ी पर किशनगंज शहर के नालों की सफ़ाई करते हैं। इस काम के लिए किसी तरह का सुरक्षा किट इन्हें नहीं दिया जाता है। सिर्फ बाल्टी और कुदाल जैसी चीज़ें का इस्तेमाल कर नाले में उतर कर हाथों से उसकी सफाई करते हैं।
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‘दिहाड़ी कम है’
एक अन्य कर्मी गौतम कुमार बताते हैं, यह काम बहुत गन्दा है, इसके लिए 400 रुपए दिहाड़ी बहुत कम है, 500-600 रुपए मिलने चाहिए।
हाथ से मैला ढोने वाले ज़्यादातर कर्मी इस बात से अनजान हैं कि यह काम देश में प्रतिबंधित है। नाले में उतर पर सफाई से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव के बारे में पूछने पर वो इससे इंकार करते हैं, साथ ही उन्हें डर है कि इस बारे में बात करने से आगे काम मिलने में परेशानी हो सकती है। किशन कुमार बताते हैं कि वह ठेकेदार के कहने पर काम करते हैं। छह महीने, एक साल पर ऐसे सफाई होती है।
मैनुअल स्कैवेंजिंग के विरुद्ध कानून
मैनुअल स्कैवेंजर्स का रोज़गार और सूखे शौचालय निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993 के तहत लोगों के मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अर्थात् यह अधिनियम हाथ से मैला ढोने को रोज़गार के तौर पर प्रतिबंधित करता है। इस अधिनियम में हाथ से मैला साफ कराने को संज्ञेय अपराध मानते हुए आर्थिक दंड और कारवास दोनों ही आरोपित करने का भी प्रावधान है।
वहीं मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 मैनुअल स्कैवेंजर्स के तौर पर किये जा रहे किसी भी कार्य या रोज़गार का निषेध करता है। यह हाथ से मैला साफ करने वाले और उनके परिवार के पुनर्वास की व्यवस्था भी करता है और यह ज़िम्मेदारी राज्यों पर आरोपित करता है। इस अधिनियम के तहत मैनुअल स्कैवेंजर्स को प्रशिक्षण देने, ऋण देने और आवास प्रदान करने की भी व्यवस्था की गई है। इस अधिनियम में मैनुअल स्कैवेंजर्स यानी ‘हाथ से मैला उठाने वाले कर्मी’ की परिभाषा में खुले नाले या गड्ढे की सफाई करने वालों को भी शामिल किया गया है।
बेखबर प्रशासन
इसको लेकर हमने किशनगंज नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीपक कुमार से बात की, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया कि शहर में मैनुअल स्कैवेंजिंग हो रहा है, वहीँ किशनगंज जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री से पूछने पर उन्होंने कहा कि लिखित संज्ञान में दीजिए, अगर ऐसा होता है तो कार्रवाई की जाएगी।
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