Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

बक्खो: पसमांदा मुस्लिम की अनसुनी कहानी

यह डॉक्यूमेंट्री भारत के एक ऐसे मुस्लिम समुदाय की कहानी है, जो आज भी समाज की मुख्यधारा से काफी दूर है।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
Published On :
bakkho documentary a pasmanda muslim story

यह डॉक्यूमेंट्री भारत के एक ऐसे मुस्लिम समुदाय की कहानी है, जो आज भी समाज की मुख्यधारा से काफी दूर है। बक्खो समुदाय घुमंतू जीवनशैली जीता है और अब भी पारंपरिक तौर-तरीकों पर निर्भर है। यह फिल्म उनके जीवन, संस्कृति, संघर्ष और हाशिए पर होने की स्थिति को दर्शाती है।


बक्खो समुदाय की महिलाएं ‘सोहर’ गाने की परंपरा निभाती हैं। बच्चे के जन्म या शादी जैसे खुशियों के मौकों पर वे घर-घर जाकर बधाई गीत गाती हैं, जिन्हें ‘सोहर’ कहा जाता है। इस पारंपरिक गायन के बदले लोग उन्हें इनाम के तौर पर कपड़े, जेवर या पैसे देते हैं। हर समूह का अपना अलग इलाका होता है, और इस परंपरा को बखूबी निभाया जाता है। यह न केवल उनकी सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि जीविका का साधन भी।

Also Read Story

कौन हैं बिहार में 65% आरक्षण ख़त्म करने के लिये हाईकोर्ट जाने वाले याचिकाकर्ता?

बिहार: पटना हाईकोर्ट ने 65 प्रतिशत आरक्षण वाले कानून को किया रद्द

बिहार जातीय गणना में मुस्लिम ‘कलाल-एराकी’ व ‘कसेरा-ठठेरा’ जातियों को ‘बनिया’ में गिने जाने से चिंता बढ़ी

बिहार में 75 फीसदी आरक्षण संबंधी विधेयक पर राज्यपाल की लगी मुहर

अनुसूचित जाति की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले मुसहर सबसे पिछड़े क्यों हैं?

बिहार की मुस्लिम जातियां: पलायन में मलिक व सुरजापुरी आगे, सरकारी नौकरी में भंगी व सैयद, शेरशाहबादी कई पैमानों पर पीछे

“दलित-पिछड़ा एक समान, हिंदू हो या मुसलमान”- पसमांदा मुस्लिम महाज़ अध्यक्ष अली अनवर का इंटरव्यू

बिहार जाति गणना में सुरजापुरी मुस्लिम की आबादी कम बताई गई है: किशनगंज सांसद

बिहार आरक्षण संशोधन विधेयक सदन में पास, अब 75 फीसद होगा आरक्षण

पुरुषों की बात करें तो वे मुख्यतः पुराने कपड़े और बर्तनों की फेरी करते हैं। यह कार्य पीढ़ियों से जारी है, और आज भी समुदाय का बड़ा हिस्सा इसी पर निर्भर करता है। हालिया बिहार जाति आधारित गणना 2022-23 के अनुसार, राज्य में बक्खो (मुस्लिम) समुदाय के 7,138 परिवार हैं, जिनकी कुल जनसंख्या 36,830 है। इनमें से 44.24% परिवार ऐसे हैं, जिनकी मासिक आमदनी ₹6000 से भी कम है।


शिक्षा के क्षेत्र में भी यह समुदाय बेहद पीछे है। आंकड़ों के अनुसार, इस समुदाय से अब तक कोई भी मेडिकल ग्रेजुएट नहीं निकला है। केवल एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट और 97 अन्य ग्रेजुएट दर्ज हैं। रोजगार की बात करें तो 224 लोग बिहार के अन्य जिलों में, 315 लोग दूसरे राज्यों में और 3 लोग विदेशों में काम कर रहे हैं। सरकारी नौकरी में केवल 40 लोग हैं। लेकिन बक्खो समुदाय के लोग इन आकड़ों से सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार स्थिति और भी दयनीय है।

वर्तमान में बक्खो मुस्लिम समुदाय को बिहार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के तहत रखा गया है। हालांकि, इस समुदाय की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) की श्रेणी में शामिल किया जाए, ताकि उन्हें शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा में बेहतर अवसर मिल सके। यह डॉक्यूमेंट्री न सिर्फ उनके जीवन की एक झलक देती है, बल्कि इस मांग और उसके पीछे के तर्क को भी सामने लाती है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

Related News

बिहार में प्रजनन दर, आरक्षण और 94 लाख गरीब परिवारों पर सदन में क्या बोले नीतीश कुमार

नीतीश सरकार 94 लाख गरीब परिवारों को देगी दो-दो लाख रुपये, आवास के लिए सहायता राशि भी बढ़ाएगी

बिहार जातीय गणना रिपोर्टः सरकारी नौकरियों में कायस्थ सबसे अधिक, राज्य में सिर्फ 7 फीसद लोग ग्रेजुएट

नीतीश से मिलकर सांसद जावेद व इलाके के विधायक बोले- सुरजापुरी को मिले ईबीसी आरक्षण

मंगलवार को बिहार विधानसभा के पटल पर रखी जायेगी जाति गणना की पूरी रिपोर्ट

सुरजापुरी मुसलमानों को अत्यंत पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाये: सांसद डॉ. जावेद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

वर्षों से पुल के इंतजार में कटिहार का कोल्हा घाट

किशनगंज ईदगाह विवाद: किसने फैलाई बिहार बनाम बंगाल की अफवाह?

दशकों के इंतज़ार के बाद बन रही रोड, अब अनियमितता से परेशान ग्रामीण

बिहार में सिर्फ कागज़ों पर चल रहे शिक्षा सेवक और तालीमी मरकज़ केंद्र?

दशकों से एक पुराने टूटे पुल के निर्माण की राह तकता किशनगंज का गाँव