पिछले दिनों सीमांचल में हुई सियासी उठापटक के बीच, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन यानी AIMIM के बिहार में पांच विधायकों में से चार विधायक 29 जून को राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए। इन चार विधायकों में जोकीहाट विधायक शाहनवाज़, बहादुरगंज विधायक अंजार नईमी, कोचाधामन विधायक इजहार अस्फ़ी और बायसी विधायक सय्यद रुकनुद्दीन अहमद शामिल हैं। इस फेर-बदल के बाद, चारों विधायकों के प्रति AIMIM के समर्थकों में काफी रोष देखा जा रहा है।
इस विषय पर मैं मीडिया ने बायसी विधायक सैयद रुकनुद्दीन अहमद से विस्तृत बातचीत की।
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उन्होंने हमें बताया कि उनका परिवार बायसी विधानसभा क्षेत्र से, सन् 1952 से ही राजनीति में रहा है। उनके चाचा सैयद गयासुद्दीन अहमद साल 2011 तक मुखिया रहे, साथ ही इनकी बहन 15 साल तक प्रमुख रहीं। उनके पिता 1977 से चुनाव लड़ते आ रहे थे और कांग्रेस से दो बार विधायक रहे। सैयद रुकनुद्दीन अहमद की राजनीतिक शुरुआत उनके पिता की मृत्यु के बाद साल 2000 में कांग्रेस पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने से हुई, जिसमें वह हार गए थे।
साल 2005 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। साल 2014 के उपचुनाव में उन्होंने जेडीयू की तरफ से चुनाव लड़ा लेकिन बहुत कम मतों से हार गए। इसके बाद साल 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने AIMIM के टिकट पर बायसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
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अब AIMIM को छोड़ने पर, सैयद रुकनुद्दीन अहमद का कहना है कि उन्होंने चलते सत्र में ही पार्टी छोड़ने का फैसला किया और उनके पार्टी छोड़ने के पीछे पार्टी वाले जिम्मेदार हैं।
पार्टी छोड़ने का कारण पूछने पर वह बताते हैं – “पूर्णिया ज़िले में अध्यक्ष नहीं है, ना ही किसी और प्रखंड में कोई अध्यक्ष है। एक पुरानी कमेटी चली आ रही है, जो कुछ लोगों के पॉकेट में है और ऑर्गेनाइजेशन का विस्तार नहीं हो रहा है।”
क्या उनके परिवार के ख़ानक़ाह से कनेक्शन की वजह से उन्हें पार्टी ने टिकट दिया था, यह पूछने पर वह कहते हैं – “AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के दिल में खानकाओं की क़दर थी, इसलिए उन्होंने हमें टिकट दिया था।”
साथ ही उन्होंने बताया कि पार्टी छोड़ने पर देशभर से AIMIM के समर्थक उन्हें कॉल और मैसेज पर धमकियां दे रहे हैं।
पूरा इंटरव्यू यहाँ देखें:
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