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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

“250 रुपये की दिहाड़ी से नहीं होता गुजारा”- दार्जिलिंग के चाय श्रमिक

दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में चाय उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा जिला है। चाय बागान श्रमिकों का कहना है कि महंगाई के जमाने में उन्हें 250 रुपये प्रति दिन की मजदूरी दी जाती है,…

गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर में धरना

जुलाई 2011 में राज्य की ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार व केंद्र की कांग्रेस सरकार और बिमल गुरुंग के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ। जिसके बाद गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (GTA) बना। छह साल…

दार्जिलिंग: तीन साल में नहीं बनी 700 मीटर लंबी सड़क

दार्जिलिंग के खूबसूरत पहाड़ों के बीच दिनचर्या के ये संघर्ष अपने आप में एक विडम्बना है। पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग भले ही एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर मशहूर है, लेकिन यहाँ के…

Darjeeling Panchayat Elections: किन मुद्दों पर हो रहा है चुनाव?

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में 23 साल बाद पंचायत चुनाव होने जा रहा है। इस बार चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा यानी BGPM गठबंधन में है, जिसका नेतृत्व…

दशकों से सड़क के लिए तरस रहा है दार्जिलिंग का ये गाँव

38 साल पहले इस सड़क के कुछ हिस्से में पत्थर डाले गये थे लेकिन तब से आज तक इसे पक्का नहीं किया गया और न ही कोई मरम्मत ही हुई। सड़क की हालत…

दार्जिलिंग के चाय बागान श्रमिक ₹232 में मज़दूरी करने पर मजबूर

पश्चिम बंगाल और असम में चाय बागान के श्रमिकों को फिलहाल 232 रुपए दिहाड़ी की दर से मज़दूरी दी जाती है। त्रिपुरा और बिहार के किशनगंज को छोड़ दें तो यह देश में…

भूमि पट्टा देने के बावजूद सीएम ममता से दार्जिलिंग के चाय बागान श्रमिक नाराज

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग सहित अन्य जिलों के चाय बागानों में हज़ारों की तादाद में ऐसे मज़दूर हैं, जो दशकों से बिना भूमि पट्टा के रह रहे हैं।

दार्जिलिंग: भूस्खलन से बर्बाद सड़क की नहीं हुई मरम्मत, चाय बागान श्रमिक परेशान

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पुलबाज़ार प्रखण्ड अंतर्गत जोरबंगलो मार्ग्रेट्स होप चायबागान में काम करने वाले श्रमिक रोज़ाना जोखिम भरे रास्ते से काम पर जाते हैं।

दार्जिलिंग: गांवों की सड़क खस्ताहाल, दशकों से नहीं हुई मरम्मत

दार्जिलिंग जिला अंतर्गत सोम फाटक से बालुवास तक जाने वाली सड़क जर्जर हो चुकी है। यह 9 KM लंबी मुख्य सड़क 10 से 12 गांवों की करीब साढे 5000 जनसंख्या के लिए आने-जाने…

Orange Farming in Darjeeling: संतरे के लिए प्रख्यात दार्जिलिंग में संतरा उत्पादन दम तोड़ रहा

दार्जिलिंग के संतरे हमेशा से प्रसिद्ध रहे हैं लेकिन पिछले दो तीन सालों में इसके उत्पादन में भारी कमी आने से यहां के किसानों को वादी के इस पारंपरिक फल उत्पादन के अंत…

दार्जिलिंग: सड़क के लिए गड्ढा खोद छोड़ा, अब उससे लैंडस्लाइड में बर्बाद हो रहे घर

रास्ता अधूरा रह जाने से ग्रामीण भूस्खलन यानी लैंडस्लाइड से परेशान हैं। ग्रामीण अशोक सुब्बा के घर के नीचे भूस्खलन से उनका घर क्षतिग्रस्त हो गया, लेकिन अब तक कोई सरकारी मदद नहीं…

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