Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

तीन साल से फाइनल रिज़्लट का इंतज़ार कर रहे हैं बिहार के सहायक उर्दू अनुवादक अभ्यर्थी

सितंबर 2021 में मुख्य परीक्षा आयोजित हुई। मुख्य परीक्षा के बाद जुलाई 2022 में 1374 अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिये बुलाया गया। निर्धारित संख्या में अभ्यर्थियों के नहीं पहुंचने की वजह से जनवरी 2024 में 833 अभ्यर्थियों को फिर काउंसिलिंग के लिये बुलाया गया। काउंसिलिंग के तीसरे चरण में फरवरी 2024 में 20 और अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
assistant urdu translator candidates of bihar have been waiting for the final result for three year

बिहार में सरकारी नौकरी के विज्ञापन निकलने से लेकर नियुक्ति होने में देरी होना आम बात है। इसके बावजूद आमतौर पर एक-दो साल के अन्दर नियुक्ति प्रक्रिया संपन्न हो जाती है। लेकिन, बिहार कर्मचारी चयन आयोग पांच साल गुज़रने के बाद भी सहायक उर्दू अनुवादक पदों के लिये हुई परीक्षा का फाइनल रिज़ल्ट जारी नहीं कर सका है। इंतज़ार करते-करते अभ्यर्थियों की आंखें पथरा गईं। कई अभ्यर्थियों ने तो दूसरी नौकरी की तैयारी शुरू कर दी है।


दरअसल, बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने अक्टूबर 2019 में 1,294 सहायक उर्दू अनुवादक पदों के लिये विज्ञापन निकाला था। प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के बाद मेरिट लिस्ट निकालने की बात कही गई थी। फॉर्म भरने के दो साल गुज़रने और कई तिथियों में संशोधन के बाद 28 फरवरी 2021 को प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा में 5322 अभ्यर्थी सफल हुए, जिनको मुख्य परीक्षा में भाग लेने का मौक़ा दिया गया।

Also Read Story

₹108 करोड़ से कटिहार व बेगूसराय में बनेंगे अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय

जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास में 91 प्रबंधकों के पद सृजित

बिहार के ये 41 शिक्षक ‘राजकीय शिक्षक पुरस्कार 2024’ से होंगे सम्मानित

BPSC द्वारा आयोजित बिहार ज्यूडिशियल सेवा की मुख्य परीक्षा में 463 सफल

BPSC TRE-3: वर्ग 1-5 में पूछे गये प्रश्नों का प्रोविज़नल उत्तर जारी, 5 सितंबर तक आपत्ति

मारवाड़ी कॉलेज की एडमिशन प्रक्रिया में धांधली का आरोप, छात्रों ने किया प्रदर्शन

BPSC TRE 3: आोयग ने जारी किया अभ्यर्थियों का ओएमआर शीट, 27 अगस्त तक आपत्ति

BSEB सक्षमता परीक्षा के लिये 16 अगस्त से एडमिट कार्ड, 23 अगस्त से परीक्षा

मोतिहारी के महात्मा गांंधी सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में नहीं शुरू हो पाया उर्दू विभाग, “उर्दू को मज़हबी चश्मे से ना देखे सरकार”

सितंबर 2021 में मुख्य परीक्षा आयोजित हुई। मुख्य परीक्षा के बाद जुलाई 2022 में 1374 अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिये बुलाया गया। निर्धारित संख्या में अभ्यर्थियों के नहीं पहुंचने की वजह से जनवरी 2024 में 833 अभ्यर्थियों को फिर काउंसिलिंग के लिये बुलाया गया। काउंसिलिंग के तीसरे चरण में फरवरी 2024 में 20 और अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई।


काउंसिलिंग के बाद निकाला पीटी का रिज़ल्ट

यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था और अभ्यर्थी मेरिट लिस्ट के इंतज़ार में थे। लेकिन, 2 अगस्त 2024 को आयोग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिससे अभ्यर्थियों के सब्र का बांध टूट गया और वे प्रदर्शन करने सड़क पर उतर गये।

दरअसल, इस नोटिफिकेशन में आयोग ने तकनीकी त्रुटियों का हवाला देकर 291 अभ्यर्थियों को प्रारंभिक परीक्षा में सफल घोषित करते हुए उनसे मुख्य परीक्षा के लिये आवेदन मांग लिया। आयोग ने नोटिफिकेशन में बताया कि “अंतिम परीक्षाफल की जांच के क्रम में प्रारंभिक परीक्षाफल के परिलक्षित तकनीकी त्रुटियों के निराकरण के उपरान्त संशोधित परीक्षाफल के आधार” पर इन अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिये योग्य पाया गया है।

आयोग के इस नोटिफिकेशन से नाराज़ अभ्यर्थियों ने 6 अगस्त को बिहार कर्मचारी चयन आयोग के दफ़्तर के बाहर जमकर प्रदर्शन किया। अभ्यर्थी आयोग के चेयरमैन से मुलाक़ात की ज़िद पर अड़ गये। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच झड़प हो गई। कई अभ्यर्थियों ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि झड़प के दौरान पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज भी किया।

मामले में राजनीतिक दल भी कूद गये। बिहार में विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने इस बहाली में देरी को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधा। फेसबुक पर एक पोस्ट में राजद ने निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश सरकार सहायक उर्दू अनुवादक अभ्यर्थियों को आश्वासन देकर टहला रही है और नहीं मानने पर लाठियां बरसा रही है।

राजद ने फेसबुक पर लिखा, “सहायक उर्दू अनुवादक 4 साल से अपने रिजल्ट के लिए भटक रहे हैं, नौकरी पाने के लिए तरस रहे हैं और नीतीश सरकार उनको 4 साल से बहला रही है। कुछ भी आश्वासन देकर टहला रहे हैं, झूठी दिलासा देकर फुसला रहे हैं और जब वह नहीं मानते हैं तो लाठी भांज कर टरका रहे हैं।”

पोस्ट में आगे लिखा, “नौकरी देना सबके वश की बात नहीं होती। जिस प्रकार तेजस्वी यादव जी ने इतने कम समय मे अपने सारे वादों को पूरा किया, रिकॉर्ड समय में लाखों नौकरियां दीं, वादानुसार विभिन्न कर्मियों का मानदेय बढ़ाया, ऐसा करना नीतीश कुमार के वश का नहीं। नीतीश-भाजपा में ना शक्ति है ना इच्छाशक्ति है, ना योग्यता और ना ही संकल्प है।”

रिज़ल्ट में देरी होने पर छात्रों ने जताई नाराज़गी

पांच साल गुज़रने के बाद भी बहाली प्रक्रिया संपन्न नहीं होने से सहायक उर्दू अनुवादक परीक्षा के अभ्यर्थियों में ख़ासी नाराज़गी है। ‘मैं मीडिया’ ने सहायक उर्दू अनुवादक परीक्षा के कई अभ्यर्थियों से बात की। उन्होंने बताया कि जितना समय इस नियुक्ति प्रक्रिया में लग रहा है वो बिहार की किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया में नहीं लगा है। अभ्यर्थियों ने कहा कि इस बीच बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने कई परीक्षाओं का रिज़ल्ट निकालते हुए बहाली प्रक्रिया संपन्न कर दी, लेकिन, इस परीक्षा के परिणाम को लटका कर रखा है।

पांच साल से मेरिट लिस्ट का इंतज़ार कर रहे अभ्यर्थी मुज़फ़्फ़र क़ासमी ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि ऐसा लग रहा है कि आयोग की मंशा ठीक नहीं है, वरना अब तक फाइनल रिज़ल्ट प्रकाशित हो गया होता। वह बताते हैं कि सहायक उर्दू अनुवादक बहाली के साथ-साथ उर्दू अनुवादक और राजभाषा सहायक (उर्दू) पदों पर भी विज्ञापन निकला था और ये दोनों बहाली प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है, लेकिन, बड़े अफ़सोस की बात है कि उर्दू अनुवादक का मेरिट लिस्ट अब तक नहीं आया है।

“जब हमलोग धरना करते हैं, आयोग के दफ़्तर जाते हैं, मंत्रियों के पास जाते हैं या सचिवालय जाते हैं तो सिर्फ यही बताया जाता है कि अगले महीने रिज़ल्ट आ रहा है। पंद्रह दिन में आ रहा है रिज़ल्ट। इस महीने की बीस तारीख़ को आ जायेगा रिजल्ट…ऐसा करते-करते लोकसभा चुनाव आ गया बीच में। आयोग की तरफ़ से बोला गया कि अब जो होगा वो इलेक्शन के बाद होगा,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “इलेक्शन के बाद हमने आयोग से संपर्क किया तो बताया गया कि रिज़ल्ट पर काम चल रहा है और सबसे पहले यही रिज़ल्ट आयेगा। आयोग के चेयरमैन की तरफ़ से साफ़ तौर पर कहा गया कि 30 जून को रिज़ल्ट आ जायेगा, लेकिन, नहीं आया रिज़ल्ट…किसी भी परीक्षा में इतना वक़्त नहीं लगता है जितना इस परीक्षा के रिज़ल्ट में लग रहा है।”

‘मेरिट लिस्ट में बैकडोर से इंट्री की आशंका’

अभ्यर्थियों ने दावा किया कि आयोग अयोग्य अभ्यर्थियों की बैकडोर से इंट्री कराना चाहता है, इसलिये रिज़ल्ट में देरी की एक वजह यह भी हो सकती है। नाम ना छापने की शर्त पर एक अभ्यर्थी ने बताया कि तीन चरण की काउंसिलिंग पूरी होने के बाद एक लिस्ट आता है, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा में कई छात्रों को सफल घोषित किया जाता है। उन्होंने आशंका जताते हुए पूछा कि इसकी क्या गारंटी है कि इसमें बैकडोर से किसी की इंट्री नहीं दी गई है?

“हमलोग साफ़ समझ रहे हैं कि बैकडोर से किसी की इंट्री कराई जा रही है। वरना किसी परीक्षा के पीटी, मेन्स और काउंसिलिंग होने के बाद पीटी का रिज़ल्ट निकालने की क्या ज़रूरत पड़ गई इन (आयोग) को? और अगर वाक़ई ग़लती आप (आयोग) की है तो इसकी सज़ा हम क्यों भुगतें? अब इसमें कैसे मान लें कि हमलोगों में से कोई छंट नहीं रहा है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “हम क्यों नहीं समझें कि बैकडोर से इंट्री नहीं हो रही है। अगर हमारा नाम नहीं आया तो कैसे पता चलेगा कि हमको छांटा गया। हो सकता है कि सीटों की ख़रीद बिक्री चल रही हो…किसी एग्ज़ाम में इतना वक़्त नहीं लगता है। इस परीक्षा के बाद बीपीएससी वालों ने कई परीक्षाएं आयोजित की और बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति हुई।”

अभ्यर्थियों ने कहा-उर्दू के साथ नाइंसाफ़ी क्यों?

बहाली में हो रही देरी को लेकर मुज़फ़्फ़र क़ासमी ने कहा कि यह सरासर उर्दू के साथ नाइंसाफ़ी है और उर्दू के नामलेवा जितने लोग हैं, उनमें इतनी हिम्मत नहीं है कि यह बात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बतायें। क़ासमी ने आगे कहा कि उनलोगों ने मामले को लेकर बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ज़मा ख़ान, जदयू एमएलसी ख़ालिद अनवर समेत कई नेताओं से मुलाक़ात की, लेकिन, उनकी तरफ़ से सिर्फ़ आश्वासन मिला है।

परीक्षा में सफल एक अन्य अभ्यर्थी आफ़ताब आलम ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि यह बड़े दुख की बात है कि अभ्यर्थी इतनी मेहनत से पढ़ाई करते हैं और परीक्षा का फॉर्म भरते हैं, लेकिन आयोग की ग़लती से देरी होती है और छात्रों का वक़्त बर्बाद होता है। उन्होंने जल्द से जल्द फाइनल रिज़ल्ट देते हुए मेरिट लिस्ट जारी करने की मांग की।

“उर्दू के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। इसमें सरकार से ज़्यादा आयोग ज़िम्मेदार है, क्योंकि आयोग ख़ुद मुख़्तार (स्वायत्त संस्था) है। ऐसे मामले में आयोग ख़ुद फ़ैसला लेता है, लेकिन हमलोगों के मामले में फैसला नहीं ले पा रहा है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “हमलोग क्वालीफाइड स्टूडेंट हैं तो फिर हमलोगों को दो साल से रोक कर क्यों रखा गया है? हमलोगों को जो दो साल बर्बाद हुआ, उसका ज़िम्मेदार कौन है? अगर आयोग की ग़लती है तो स्टूडेंट क्यों सहे? जिस स्टूडेंट की कोई ग़लती नहीं है, सरकार और आयोग उसके लिये क्या करेंगे? इसका जवाब आयोग के पास भी नहीं है।”

परीक्षा में सफल दिलदार हुसैन कहते हैं कि उर्दू बिहार की दूसरी सरकार भाषा है, लेकिन, वर्तमान नीतीश सरकार इसे अनदेखी कर रही है, जो कि सही नहीं है। उन्होंने जल्द से जल्द सहायक उर्दू अनुवादक परीक्षा का मेरिट लिस्ट जारी करने की मांग की।

BSSC से नहीं हो सका संपर्क

‘मैं मीडिया’ ने मामले को लेकर बिहार कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष मो. सोहैल के कार्यालय वाले दूरभाष नंबर पर कई बार कॉल किया, लेकिन, फोन रिसीव नहीं किया गया। ‘मैं मीडिया’ ने बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड के एमएलसी ख़ालिद अनवर से भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन, उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

वहीं, बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो. ज़मा ख़ान को फोन किया गया तो उनके निजी सहायक ने फोन रिसीव किया। इस संबंध में पूछने पर निजी सहायक ने बताया कि मंत्री ज़मा ख़ान अभी किसी कार्यक्रम में व्यस्त हैं, इसलिये आप दूसरे समय कॉल कीजिये।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

Related News

हादसे के बाद भी नहीं बदला एमडीएम सप्लाई करने वाले एनजीओ का रवैया, फिर पहुंचाया बासी भोजन

किशनंगज के स्कूल में हुआ “तिथि भोजन” का आयोजन, एमडीएम अधिकारी भी हुए शामिल

किशनगंज में MDM भोजन खाने से 59 बच्चे बीमार, DPO बोलीं, ‘नो कमेंट’

CTET जुलाई-2024 का परिणाम जारी, यहां चेक करें अपना रिज़ल्ट

किशनगंज में शिक्षकों का प्रमाण-पत्र कूड़े में मिला, शिक्षक संघ ने की कार्रवाई की मांग

कटिहार: सरकारी स्कूल में तीन दिन में निकले दर्जनों सांप, छात्रों में दहशत, स्कूल बंद करने का आदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

अप्रोच पथ नहीं होने से तीन साल से बेकार पड़ा है कटिहार का यह पुल

पैन से आधार लिंक नहीं कराना पड़ा महंगा, आयकर विभाग ने बैंक खातों से काटे लाखों रुपये

बालाकृष्णन आयोग: मुस्लिम ‘दलित’ जातियां क्यों कर रही SC में शामिल करने की मांग?

362 बच्चों के लिए इस मिडिल स्कूल में हैं सिर्फ तीन कमरे, हाय रे विकास!

सीमांचल में विकास के दावों की पोल खोल रहा कटिहार का बिना अप्रोच वाला पुल