2022 को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा अग्निवीर योजना को हरी झंडी देने के बाद देश भर में इस योजना की आलोचना शुरू हो गई थी। देखते देखते यह नाराजगी हिंसक प्रदर्शन में बदल गई। युवा वर्ग में इस बात की नाराजगी देखी गई थी कि 4 वर्ष आर्मी में सेवा करने के बाद उन्हें किस क्षेत्र में नौकरी मिलेगी। हालांकि एक वर्ग ऐसा भी था, जो योजना के समर्थन में था, लेकिन उनकी तादाद आक्रोशित दल से कम देखने को मिली थी।
अग्निवीर योजना के विरोध में यूपी-बिहार के युवाओं में अधिक आक्रोश दिख रहा था। खासकर बिहार के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन के कारण कर्फ्यू की नौबत आ गई थी। इसके साथ साथ हिंसा झेलने वाले शहरों में इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई थी।
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बिहार के छपरा, कैमूर, मुंगेर, मधेपुरा और गोपालगंज सहित कई ज़िलों में युवाओं का आक्रोश, जो बाद में हिंसक प्रदर्शन में तब्दील हो गया, देखने को मिला था।
उसी दौरान पूर्णिया के विकास आदित्य ने “बिहार” नामक एक फेसबुक पेज पर एक कमेंट लिखा, जिसके बाद 18 जून 2022 को आईपीसी की धारा 504/505 और आईटी एक्ट की धारा 66/67 के तहत आदित्य के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई।
क्या था वह कमेंट?
विकास आदित्य पर दंगा भड़काने के प्रयास के आरोप लगे और इसी कारण उन पर एफआईआर दर्ज की गई।
विकास आदित्य ने बिहार नामक पेज के एक पोस्ट पर टिप्पणी की, “पूर्णिया का बीजेपी कार्यालय नहीं जलाया गया है। इंटरनेट चालू है। बंद करने की जरूरत है।”
एफआईआर के अनुसार, पूर्णिया के के. हाट थाने के पु.अ.नि सुभाष कुमार मंडल के पास 18 जून को 3 बजे फेसबुक कमेंट की शिकायत आई जिसके बाद विकास आदित्य पर दंगा भड़काने की नीयत से कमेंट करने के आरोप के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई।
प्राथमिकी दर्ज होने के लगभग ढाई महीने के बाद तीन सितंबर की रात 1 बजे विकास आदित्य को उनके दोस्त के घर, हरदा पंचायत से गिराफ्तार किया गया।

इसके आगे की कहानी जानने के लिए मैं मीडिया ने विकास आदित्य से फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि जिस रात उनकी गिरफ्तारी हुई, उस रात वह अपने दोस्त के घर गए हुए थे। रात एक बजे पूर्णिया पुलिस की तीन गाड़ियां विकास के मित्र के घर पर रुकीं। विकास कहते हैं, “मैंने यह उम्मीद नहीं की थी कि मुझे पकड़ने के लिए पुलिस की तीन गाड़ियां आएंगी। मुझे लगा कि किसी बड़े अपराधी या किसी विख्यात इंसान की गिरफ्तारी हो रही है।”
विकास ने कहा कि पुलिस ने उन्हें थाने में ले जाकर कुछ सवाल किये, जो उनके अनुसार सामान्य सवाल जवाब थे।
विकास ने यह भी बताया कि पुलिस ने उनके साथ काफ़ी सभ्य व्यवहार किया। “पुलिस ने एक सामाजिक कार्यकर्ता और एक कुख्यात अपराधी के बीच का अंतर समझते हुए मुझसे काफी अच्छा व्यवहार किया।मुझे गिरफ्तार करना नियम कानून के आधार पर था, पुलिस बस अपना काम कर रही थी,” विकास ने कहा।
मैं मीडिया ने विकास से पूरे मामले को शुरुआत से बताने को कहा, तो उन्होंने बताया कि उनके कमेंट के बाद पूर्णिया सदर थाने से एक कॉल आया था, जिसमें उन्हे कमेंट डिलीट करने को कहा गया था।
विकास ने कमेंट डिलीट करने से इनकार कर दिया हालांकि उन्होंने शब्दों को बदल कर कमेंट को एडिट कर दिया।
विकास का मानना है कि उन्होंने किसी बुरी भावना से टिप्पणी नहीं की थी। उनके अनुसार, उस कमेंट का मतलब था कि ‘पूर्णिया का बीजेपी कार्यालय सुरक्षित है। इंटरनेट चालू है। उसे बंद करने की जरूरत है, नहीं तो अफवाहें फैलेंगी और यहां भी माहौल खराब होने की आशंका है।
सदर थाने से फोन आने के बाद विकास ने टिप्पणी संपादित कर दिया ।
संपादित टिपणी में उन्होंने लिखा, “पूर्णिया का भाजपा कार्यालय सुरक्षित है। इंटरनेट चालू है उसे बंद करवाने की जरूरत है।”
इसके बाद इसी कमेंट के नीचे विकास ने विस्तार में अपने पहले कमेंट को डिफेंड करने की कोशिश की, जिसे आप तस्वीर में देख सकते हैं।

खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले विकास आदित्य ने इग्नू से राजनीति विज्ञान की पढाई की है और उनकी मानें, तो वह आजकल ‘टीम पूर्णिया’ नामक एक सामाजिक संस्था चलाते हैं।
विकास इंटरनेट पर एनडीए की कुछ योजनाओं के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं। वह कहते हैं, “जनता के सवाल अगर सत्ताधारी सरकार से न पूछें, तो किससे पूछें।”
टिप्पणी संपादित करने के बाद विकास ने अपनी जमानत के लिए पर्चा नहीं भरा था, जिसके लिए 85 दिन बाद उनकी गिराफ्तारी की गई। गिरफ्तारी की अगली सुबह ही विकास को छोड़ भी दिया गया।
‘मैं मीडिया’ से बात करते समय तक विकास ने बेल लेने की प्रकिया पूरी नहीं की थी।
‘मैं मीडिया’ ने पूरे इस मामले में पुलिस का पक्ष जानने की कोशिश की, मगर फोन उठाने वाले के. हाट थाने के एक अधिकारी ने इस केस पर कुछ भी टिप्पणी देने से इनकार कर दिया।
पुलिस अधिकारी ने अपना नाम भी जाहिर नहीं किया। मामले में जानकारी के लिए उन्होंने थाने आने को कहा।
कौन हैं विकास आदित्य
हमने विकास से आगे बात की, तो पता चला कि वह कुछ साल पहले तक बीजेपी के समर्थक हुआ करते थे। यही नहीं, वह आरएसएस के कार्यक्रमों में भी शामिल होते रहे हैं। लेकिन, पिछले एक दो सालों से वह लगातार भाजपा की योजनाओं और कार्य शैली की आलोचना कर रहे हैं।

समर्थक से आलोचक बनने की वजह पूछने पर विकास ने कहा, “मैं 2020 के बाद से बीजेपी सरकार की योजनाओं की आलोचना करता रहता हूं। जब लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर से पैदल लौट रहे थे, तभी से मैंने सरकार का समर्थन करना छोड़ दिया।”
विकास खुद को किसी भी राजनीतिक पार्टी का समर्थक नहीं मानते। वह चाहते हैं कि लोग उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर ही देखें।
वह कहते हैं, ”क्योंकि बीजेपी अभी केंद्र में शासन कर रही है तो सवाल भी उनसे ही पूछे जाएंगे।”
विकास का मानना है कि वह किसी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं है और इससे उन्हें नुकसान भी होता है।
“अगर मैं किसी राजनीतिक दल का होता, तो मेरे इस कमेंट के लिए मेरे खिलाफ एफआईआर करना शायद उतना आसान न होता।”
विकास ने आगे कहा, “कोई भी राजनीतिक दल दूसरे राजनीतिक दल के लोगों पर इतनी आसानी से कार्रवाई नहीं करता, क्योंकि इससे सामने वाली पार्टी का विरोध झेलना पड़ता है।”
विकास आदित्य कहते हैं कि गिरफ्तारी से उनकी मुखरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वह अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सरकार की गलत योजनाओं का विरोध करते रहेंगे।
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