तलब करें तो ये आँखें भी इन को दे दूँ मैं
मगर ये लोग इन आँखों के ख़्वाब माँगते हैं
देश में अग्निवीर योजना लागू होने के बाद सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं की कहानी बयान करने के लिए यह एक शेर काफी है। दिल में देश सेवा का जूनून लिए ये युवा अपना और अपने परिवार का भविष्य संवारने का ख्वाब देख रहे थे। लेकिन, एक झटके में सब बदल गया। पिछले महीने सरकार ने आर्मी में नौकरी के परम्परागत नियम को दरकिनार करते हुए अग्निवीर नाम से नई योजना की घोषणा की। नई योजना के तहत पुरानी भर्ती प्रक्रिया के जरिए अब महज चार वर्षों के लिए युवाओं की सेना में भर्ती होगी।
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इस सेवा में आने वाले युवाओं को अग्निवीर कहा जाएगा। चार वर्ष की अवधि पूरा करने वालों में से 25 प्रतिशत अग्नि वीरों को आर्मी में आवश्यकता के आधार पर कड़ी भर्ती प्रक्रिया के जरिए स्थाई सेवा में बहाल किया जाएगा। यानी कि अब आर्मी में जवानों की नौकरी चार साल की होगी और जितने लोग इस स्कीम के तहत भर्ती होंगे, उनमें से अधिकतम 25 प्रतिशत को ही स्थाई नौकरी मिलेगी। अन्य युवाओं को दूसरी नौकरियां तलाशनी होगी।
ऐसे में स्थाई नौकरी की उम्मीद में आर्मी की तैयारी कर रहे युवाओं में इस योजना को लेकर गुस्सा है। बहुत सारे युवाओं ने 2021 की शुरुआत में मेडिकल टेस्ट क्वालीफाई कर लिया था और पिछले 15 महीने से रिटेन टेस्ट के इंतज़ार में थे। इन में से ज़्यादातर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं। इनके परिवार ने कर्ज़ लेकर बच्चों को सेना भर्ती की तैयारी के लिए घर से दूर कटिहार शहर के एक निजी संस्थान में भेजा है।
15 महीने का इंतज़ार
कटिहार के अमदाबाद के रहने वाले त्रिलोक कुमार मंडल मज़दूर परिवार से आते हैं। बचपन से आर्मी में सेवा देने का जुनून था। 2018 में उन्होंने सेना भर्ती की तैयारी शुरू की थी। मार्च 2021 में उन्होंने फिजिकल और मेडिकल टेस्ट भी क्वालीफाई कर लिया, लेकिन उसके सेना भर्ती के लिए आगे का एग्जाम ही नहीं हुआ। लेकिन 15 महीने का इंतज़ार व्यर्थ चला गया।
त्रिलोक की तरह करण कुमार मंडल भी एक गरीब किसान परिवार से आते हैं और तीन वर्षों से आर्मी की तैयारी कर रहे हैं। उसी जुनून के साथ उन्होंने भी पिछले साल ही मेडिकल टेस्ट क्वालीफाई कर लिया था। लेकिन, अग्निपथ योजना आते ही उनकी उम्मीदें टूट गई हैं।
करण ने बारवीं पास करते ही सेना भर्ती का पहला पड़ाव पार लिया था, उन्हें पूरा भरोसा था कि रिटेन टेस्ट बड़ी आसानी से निकल जाता।
परिवार पर क़र्ज़
पूर्णिया के रहने वाले नरेंद्र कुमार शाह ने बचपन से बस आर्मी ज्वाइन करने का ख्वाब देखा है। उनके मज़दूर पिता प्रति माह 4000 रुपये क़र्ज़ लेकर उन्हें संस्थान में पढ़ाई करवा रहे हैं। लेकिन अग्निपथ ने उन्हें अंदर से तोड़ सा दिया है। उन्हें नहीं पता कि परिवार का क़र्ज़ कैसे उतरेगा। चार साल की नौकरी वाले से शादी कौन करेगा। आगे क्या होगा।
पूर्णिया के ही रहने वाले पप्पू कुमार भी तीन साल से आर्मी की तैयारी कर रहे हैं। और ये उनके लिए ये आखिरी मौका है। इस बार क्वालीफाई करने का पूरा भरोसा था। लेकिन, उन्हें अब दूसरी फ़िक्र सता रही है। अब वो क्वालीफाई कर भी जाएँ, तो पढ़ाई के लिए लिया गया क़र्ज़ चुका पाएंगे या नहीं।
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मुंगेर ज़िले से कटिहार आकर आर्मी की तैयारी कर रहे सुमन कुमार यादव और उनके भाई दो सालों से सेना भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। उनका गरीब परिवार तीन लाख के क़र्ज़ में डूबा है। माता-पिता इसी उम्मीद में थे कि दोनों भाइयों के सेना में जाने के बाद परिवार का आर्थिक बोझ कम होगा।
सपनों से खिलवाड़
आर्मी भर्ती का जूनून कुंदन कुमार शर्मा और आशीष राजभर को उत्तर प्रदेश के बलिया और जौनपुर ज़िले से 500-600 किलोमीटर दूर बिहार के कटिहार ले आई, लेकिन अब उन्हें लगता है कि अग्निपथ लाकर सरकार उनकी ज़िन्दगी से खिलवाड़ कर रही है।
राजनीतिक परिवार से आने वाले आशीष राजभर पहले भाजपा के समर्थक थे। पिता जौनपुर में गाँव के प्रधान हैं। लेकिन, अग्निपथ योजना से निराश हो कर आगे भाजपा को समर्थन से इंकार करते हैं।
युवाओं में रोष के मद्देनजर केंद्र सरकार का कहना है कि इस योजना के तहत जो युवा अग्निवीर बनकर निकलेंगे, उन्हें अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में वरीयता दी जाएगी। कुछ राज्य सरकारों ने भी ऐसी ही घोषणा की है। लेकिन, युवाओं को ये ऑफर आकर्षित नहीं कर पा रहे। वे पुरानी प्रक्रिया को ही बहाल रखने की मांग कर रहे हैं।
इस बीच सरकार ने नई स्कीम के तहत भर्ती के लिए अधिसूचना भी जारी कर चुकी है। युवा इसमें भाग ले भी रहे हैं, लेकिन उनमें वो उत्साह नहीं, जो नियमित भर्ती के दौरान हुआ करता था। वहीं, दूसरी तरफ युवाओं का एक बड़ा वर्ग इस स्कीम को छलावा मान रहा है।
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Main sahmat Hun Shriman Agneepath Bharti ke liye Mera apply swikar Karen
Bhai log kasam khalo kisne hamare sapno se khela hai usko kabhi jindagi me support nahi karege
Army
Hamare jindegi se khel rha hai sarkar
मोदी टीओडी कानून लाकर मध्यम वर्ग को खत्म करने पर तुला है। 2024 में मोदी को पटकनी दो । राजस्थान में तो खलास है।
5 lakh de ke army me bahal ho jao aur shadi me 20 lakh dowry lo
Ha yr 2 saal se paper ki tyari kr raha tha . Ab samjh nhi aa raha kya kru . Over age ho gya hu😔😔