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क्या बिहार में कुपोषण से हो रही महादलित बच्चों की मौत?

रानीगंज प्रखंड के इस गांव में पिछले दो हफ्ते में अज्ञात बुखार से पांच बच्चों की मृत्यु हो चुकी है और एक दर्जन से अधिक बच्चे बुखार से पीड़ित पाये गए हैं।

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :
are mahadalit children dying due to malnutrition in bihar

चार साल की प्रीति कुमारी बेहद दुबली है और उसके शरीर की बनावट से लगता है कि उसे पौष्टिक भोजन नहीं मिलता है, जिसके चलते वह कुपोषण का शिकार है।


प्रीति की रिश्तेदार रेखा देवी मानती हैं कि प्रीति को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता है। वह कहती हैं कि यहां ज्यादातर लोग भात ही खाते हैं, हरी सब्जियां व दाल कभी कभार ही बन पाता है।

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महादलित समुदाय से आने वाली प्रीति कुमारी बिहार के अररिया जिले के मुसहर बहुल चिरवाहा रैहिका गांव में रहती है, जो आजकल सुर्खियों में है। रानीगंज प्रखंड के इस गांव में पिछले दो हफ्ते में अज्ञात बुखार से पांच बच्चों की मृत्यु हो चुकी है और एक दर्जन से अधिक बच्चे बुखार से पीड़ित पाये गए हैं।


बच्चों में मिले एनीमिया के लक्षण

गांव का दौरा करने वाले चिकित्सकों ने कहा कि दो दर्जन बच्चों में एनीमिया के लक्षण मिले हैं, जो कुपोषण की तरफ इशारा करते हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि जांच के लिए सैंपल लिया गया है और अंतिम रिपोर्ट से ही असल कारणों का पता चलेगा।

एनीमिया मुख्य तौर पर आयरन, विटामिन ए, विटामिन बी12 व अन्य पौष्टिक तत्वों की कमी के कारण होता है। एनीमिया ग्रस्त बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, जिससे थोड़ा बीमार पड़ने पर भी उनकी मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट बताती है कि बिहार में 6 महीने से 59 महीने (पांच वर्ष) तक के 69.4 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं।

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से गांव के स्कूल में 3 सितम्बर से ही हेल्थ कैंप लगाया गया है और आपातकालीन स्थिति के लिए एक एम्बुलेंस भी रखा गया है। किसी भी बच्चे में बुखार के लक्षण दिखने पर उसे दवाइयां दी जाती हैं और स्थिति गंभीर हो, तो अस्पताल भेजा जाता है।

जांच टीम ने लिये सैम्पल

बच्चों की मृत्यु के बाद स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम घटनास्थल पर पहुंची और एक दर्जन बच्चों के खून का सैंपल लिया। बच्चों के खून के अलावा टीम ने जांच के लिए मच्छर और चूहे भी पकड़े हैं।

अररिया के सिविल सर्जन ने फोन पर ‘मैं मीडिया’ को बताया कि दो बच्चे बीमार पड़े थे, उन्हें जांच के लिए पूर्णिया के अस्पताल में भेजा गया था। उनकी जांच में पता चला कि उन्हें चिकनगुनिया था और वे कुपोषण के शिकार थे। जांच में यह भी मालूम हुआ कि उनमें पहले से स्वास्थ्य संबंधी कुछ दिक्कतें थीं।

सिविल सर्जन ने बताया कि जांच रिपोर्ट 20 सितंबर के बाद आएगी।

लोगों ने कहा- नहीं मिलता सरकारी राशन

इस मुसहर टोली में लगभग सभी परिवार भूमिहीन हैं और मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं। ज्यादातर परिवारों के पुरुष सदस्य मजदूरी करते हैं और महिलाएं घर संभालती हैं। अधिकांश लोगों का कहना है कि उनके पास न तो आधार कार्ड है और न राशन कार्ड। राशन कार्ड नहीं होने से उन्हें सरकारी राशन भी नहीं मिलता है।

लोगों ने बताया कि ज्यादातर वक्त वे नमक-भात ही खाते हैं, दाल और हरी सब्जियां कभी कभार ही मिलती है क्योंकि उनकी कमाई उतनी नहीं है कि हरी सब्जियां खरीद सकें। उन्होंने ये भी बताया कि वे लोग हरी सब्जियों की जगह जंगली साग खाते हैं क्योंकि साग उन्हें फ्री में मिल जाता है।

5 बच्चों की मौत और कई बच्चों के बीमार पड़ने के बाद अब स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन स्थानीय लोगों में एक अनजाना डर अब भी बना हुआ है। बुखार से ठीक हुए बच्चों को उनके अभिभावकों ने अपने रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है, गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है।

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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