अररिया के रानीगंज प्रखंड के चिरवाहा महादलित टोले में अज्ञात बीमारी से बच्चों की मौत की जांच के लिए पटना से 10 सदस्यीय सर्वेक्षण टीम पहुंची है। इस टीम में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और स्वास्थ्य विभाग के 8 अधिकारी शामिल हैं।
टीम ने प्रभावित गांव में मच्छर और पीने के पानी के सैंपल लिए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। साथ ही, टीम ने कुपोषण के पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि इस महादलित टोले में 15 बच्चे कुपोषित पाए गए हैं।
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राज्य सर्वेक्षण अधिकारी डॉ. रंजीत कुमार, जो टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, ने बताया कि मच्छर के लार्वा, पीने के पानी और कुपोषित बच्चों से संबंधित डाटा लिया गया है। इन सभी बिंदुओं पर गहन जांच के बाद 14 सितंबर को सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
गौरतलब है कि पिछले 10 दिनों में मझुआ पूरब पंचायत के चिरवाहा महादलित टोले में 5 बच्चों की अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी है। संदेह जताया जा रहा है कि बच्चों की मौत AES (एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) / JE (जापानी इंसेफेलाइटिस) या फिर मस्तिष्क ज्वर के कारण हो सकती है।
डॉ. रंजीत कुमार ने बताया कि 10 साल पहले भी इस गांव में बच्चों की मौत हुई थी। इसलिए इस घटना की पुनरावृत्ति के कारणों की भी जांच की जा रही है, ताकि यह पता चल सके कि क्यों इस गांव में बार-बार इस तरह की घटनाएं हो रही हैं।
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