जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़ी ख़बरें तब सबसे प्रभावी होती हैं जब उन्हें ज़मीनी स्तर पर, उसी समुदाय से जुड़े पत्रकारों द्वारा की जाए। ऐसे पत्रकार स्थानीय लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझते हैं और उसे बारीकी से सामने ला सकते हैं।
इसीलिए ग्रामीण पत्रकारों की भूमिका जलवायु रिपोर्टिंग में बेहद अहम हो जाती है। हालांकि, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को पत्रकारिता के नज़रिये से देखने और समझने के लिए ज़रूरी प्रशिक्षण की कमी के कारण, इन मुद्दों पर रिपोर्टिंग अक्सर अधूरी रह जाती है।
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बिहार, भारत के उन राज्यों में से एक है जो जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी, IIT गुवाहाटी और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु द्वारा किये गए एक अध्ययन ‘Climate Vulnerability Assessment for Adaptation Planning in India Using a Common Framework’ के अनुसार, देश के 50 सबसे संवेदनशील ज़िलों में से 14 बिहार के हैं।
राज्य में चरम मौसमी घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2023 में बिहार में 81 दिन चरम मौसम वाले रहे, जो 2024 में बढ़कर 88 दिन हो गए। अकेले जनवरी से सितंबर 2024 के बीच राज्य में 3 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुईं।
बिहार का भूगोल इसे एक साथ सूखा और बाढ़ दोनों से जूझने पर मजबूर करता है। दक्षिण बिहार में सूखा पड़ता है, जबकि उत्तर बिहार में भारी बारिश और बाढ़ लाखों लोगों को बेघर कर देती है। आंकड़ों के अनुसार, भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में से 17.2% हिस्से बिहार में हैं। बीते एक दशक में, बाढ़ के कारण लगभग 2,300 लोगों की मौत हो चुकी है और करोड़ों की फसलें तबाह हुई हैं।
इसके साथ ही पर्यावरणीय गिरावट की मार अब छोटे शहरों पर भी पड़ रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार नवंबर 2024 में हाजीपुर का AQI 437 पहुंच गया, जो राजधानी पटना से भी ज़्यादा था। सहारसा का AQI 334 और राजगीर का 307 दर्ज किया गया। बिहार के 22 अन्य ज़िलों की वायु गुणवत्ता भी “खराब” की श्रेणी में दर्ज हुई है।
इसीलिए ‘मैं मीडिया’ 4-6 अगस्त 2025 को बिहार के किशनगंज में एक तीन दिवसीय आवासीय कार्यशाला कर रहा है। ये वर्कशॉप अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क (EJN) के सहयोग से हो रहा है।
इसमें बिहार के विभिन्न ज़िलों से चयनित 40 ज़मीनी पत्रकारों और 10 सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स को जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण, नवीकरणीय ऊर्जा और चरम मौसमी घटनाओं आदि पर रिपोर्टिंग या कंटेंट बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागियों को स्टोरी/कंटेंट आइडिया देने होंगे, जिस पर काम करने के लिए ‘मैं मीडिया’ आर्थिक मदद भी करेगा और उसे अपने प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित करेगा।
सभी चयनित प्रतिभागियों की यात्रा, ठहरने और भोजन की व्यवस्था ‘मैं मीडिया’ द्वारा की जाएगी।
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