बिहार के किशनगंज (Kishanganj) में ‘बिहार चिकित्सा व जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ’ के बैनर तले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत कर्मी अपनी दस सूत्री मांगों के समर्थन में अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गये हैं। सभी संविदा पर बहाल एएनएम और कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर सहित अन्य कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से ग्रामीण इलाके की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है।
सभी स्वास्थ्य उप केंद्रों में ताले लटके नजर आये। हड़ताल पर गए सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने जिला स्वास्थ्य समिति, किशनगंज के परिसर में अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया। सरकार और विभाग की “दोहरी नीति” के विरुद्ध नारे लगाये। अपनी मांगों को लेकर उन्होंने एक आवेदन स्वास्थ्य विभाग के डीपीएम डॉ मुनाज़िम को दिया।
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आंदोलन कर रहे कर्मियों ने कहा कि संविदा कर्मियों के साथ सरकार दोहरी नीति अपना रही है। कर्मी फेशियल रिकगनिशन सिस्टम (एफआरएएस) सिस्टम के तहत एटेंडेंस बनाने का भी विरोध कर रहे हैं। कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर के पद पर तैनात एक कर्मी ने बताया कि यह सिस्टम सिर्फ संविदा कर्मियों के लिए लागू किया गया है जो नियमित कर्मी हैं उनके लिए लागू नहीं किया गया है।
“स्वस्थ्य विभाग में महिला कर्मी अधिक है। उसकी सुरक्षा के दृष्टिकोण से देखा जाय तो सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक ड्यूटी करना है जो काफी कठिन कार्य है। क्योंकि गांवों में शाम 5 बजे के बाद घर लौटने के लिए किसी प्रकार का साधन नहीं मिलता है। इसके अलावे कर्मियों को आवास, बिजली पानी की कोई सुविधा नही है,” उन्होंने कहा।
स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा कि उनकी मुख्य मांगों में समान काम के बदले समान वेतन, चार माह के बकाया वेतन, संविदा पर बहाल कर्मियों को बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा और सभी कर्मियों को अशोक चौधरी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की अनुशंसाओं का लाभ शामिल हैं।
वहीं, डीपीएम डॉ. मुनाज़िम ने कहा कि कुल 85 एएनएम में से 70 एएनएम और 52 सीएचओ में से 34 सीएचओ हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि इन कर्मियों के हड़ताल पर जाने से कार्य प्रभावित हो रहा है, उसकी वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।
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