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अख्तरुल ईमान ने दिया नई सरकार को समर्थन, सीमांचल को विशेष दर्जे की मांग

Ariba Khan Reported By Ariba Khan |
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बिहार में सत्ता का समीकरण बदलने के बाद 24 अगस्त को बिहार विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महा गठबंधन सरकार ने अपना बहुमत साबित कर दिया है।

इसी दौरान AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने गठबंधन की नई सरकार का पुरजोर तरीके से समर्थन किया है।

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अख्तरुल ईमान ने विधानसभा सत्र में कहा, “इस वक्त वज़ीर-ए-आला जनाब नीतिश कुमार साहब की जानिब से जो विश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है, मैं उसके समर्थन में खड़ा हूं। हालांकि, चाहे वज़ीर-ए-आला हो या नायब वज़ीर-ए-आला, इस गठबंधन ने मेरा समर्थन नहीं मांगा। लेकिन उसके बावजूद मैं समर्थन में खड़ा ही नहीं हूं बल्कि मैं पूरे मंत्रिमंडल को मुबारकबाद भी दे रहा हूं।”


समर्थन देने का कारण बताते हुए अख्तरुल ईमान कहते हैं, “मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन कभी मुफ़ाद की सियासत नहीं करती। हम उसूलों की सियासत करते हैं। क्योंकि संघ परिवार के खिलाफ, भाजपाइयों के नफरत की सियासत के खिलाफ, इस गठबंधन को बनाया गया है, मैं इसलिए इसको मुबारकबाद देता हूं।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं समझता हूं कि इस वक्त बिहार ने अपनी ताकत का फिर से एक बार लोहा मनवा लिया है। नफरत की जो आंधी चल रही थी उसको रोकने का काम किया गया है। इस वक्त के हमारे वजीर-ए-आला और नायब वजीर-ए-आला दोनों के 2 बड़े नारे हैं। एक का नारा है -कानून की हुक्मारानी और दूसरे का नारा है-सामाजिक इंसाफ। तो मैं समझता हूं कि भाजपाईयों ने जो नफरत की, उस नफरत की आग में वह खुद जल गए।”

देश में जातिवाद की राजनीति की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक देश आजाद नहीं हुआ था तब तक हम लोग एक क़ौम थे, लेकिन देश को आजादी मिलते ही भाषावाद, जातिवाद और क्षेत्रवाद के नारे गूंजे और राजनीति कहीं न कहीं जातिवाद का शिकार हो गई है।

जातिवाद का शिकार होने के नतीजों में यादव भाइयों को मौका मिला सत्ता में आने का, यादव समुदाय के भाइयों की तरक्की हुई। कुर्मी भाइयों को मौका मिला नीतीश कुमार जी आए, तो कुर्मी भाइयों को इंसाफ मिला आगे बढ़ने का मौका मिला। गांधी आए तो राहुल के परिवार को फायदा मिला।


यह भी पढ़ें: Akhtarul Iman Interview: बिहार में AIMIM टूटने के बाद प्रदेश अध्यक्ष का इंटरव्यू


“मैं पूछना चाहता हूं कि अशफाक और हमीदुल्लाह के खानदान को कब इंसाफ मिल पाएगा?,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार अकलियतों के साथ इंसाफ करने का वादा करती है, वादे को निभाए भी। “मैं उम्मीद करता हूं अलीगढ़ के मसले हल होंगे। दफ़ा 371 के तहत जो स्पेशल जोन देने की बात सीमांचल के लिए उठी है, जिसका समर्थन जनाब तेजस्वी साहब ने भी किया है, मैं समझता हूं कि इस पर जरूर ये सरकार विचार करेगी,” उन्होंने कहा।

सीमांचल के विकास की बात करते हुए वह कहते हैं कि सीमांचल में जो सैलाब की तबाही है, जो अकलियतों के कब्रिस्तान का मसला है, वो हल होना चाहिए।

“जहां तक रोजगार देने का वादा किया गया है, मैं सरकार को कहता हूं कि 10 लाख रोजगार में एक लाख से अधिक रोजगार सीमांचल को दिया जाए, क्योंकि पलायन सबसे ज्यादा वहां पर है। अल्पसंख्यकों के कब्रिस्तानों पर जो नाजायज़ कब्जा हुआ है, यकीन है कि उसको आजादी मिलेगी,” उन्होंने कहा।

इसके बाद अख्तरुल ईमान ने सरकार से अल्पसंख्यकों की ओर से एक उप मुख्यमंत्री बनाने की मांग की।

उन्होंने कहा, “आखिर में एक बात कहना चाहता हूं महोदय। अकलियतों में से आप एक उपमुख्यमंत्री पेश कर दीजिए, ताकि अकलियतों को भी एतमाद और इंसाफ मिले। इस बार जो गठबंधन की सरकार बनी है, उसमें सबसे ज्यादा ढोल और पटाखे अगर किसी ने फोड़े हैं, तो अकलियतों के समाज के लोगों ने फोड़े हैं, इसलिए उन्हें इंसाफ दिया जाएगा मैं यही आशा और उम्मीद करता हूं।”


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अरीबा खान जामिया मिलिया इस्लामिया में एम ए डेवलपमेंट कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। 2021 में NFI fellow रही हैं। ‘मैं मीडिया’ से बतौर एंकर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट जुड़ी हैं। महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर खबरें लिखती हैं।

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