जहां चाह वहां राह को साक्षात जीते अररिया के किसान अब्दुल रहमान स्ट्रॉबेरी की खेती कर सीमांचल के किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।
फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित पानी से परोरा गाँव निवासी किसान दिनेश पासवान की फसल लगातार बर्बाद हो रही है।
अररिया जिले के एक आदिवासी किसान ने मत्स्य पालन में रिकॉर्ड कायम किया है। उनकी ख्याति जिले ही नहीं बल्कि बिहार की राजधानी पटना में भी पहुंच गई।
मुज़फ्फर कमाल सबा नामक एक कृषि उद्यमी ने अलता एस्टेट में 2020 में बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन की शुरुआत की थी।
मनजीत मंडल बताते हैं कि उन्होंने पहले सेब के कुछ पेड़ लगाकर ट्रायल किया था। नतीजा अच्छा निकलने पर साल 2021 में उन्होंने अपनी जमीन पर इसकी खेती करने का फैसला किया।
अररिया जिले का एक अनपढ़ किसान शिमला मिर्च, गाजर के साथ अन्य सब्जियों की खेती कर दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
शीतलहर और ठंडी हवा से अब फसल पर भी खतरा मंडराने लगा है। पछुआ हवा और बढ़ती कनकनी के कारण सबसे ज्यादा आलू की फसल प्रभावित है।
अभी के हालात को देखें तो लगभग दो दर्जन से भी अधिक देसी प्रजातियों के धान लुप्त होने की कगार पर हैं। साथ ही परम्परागत रूप से उसना चावल व चूड़ा तैयार करने का काम भी विलुप्त हो गया है।
दार्जिलिंग के संतरे हमेशा से प्रसिद्ध रहे हैं लेकिन पिछले दो तीन सालों में इसके उत्पादन में भारी कमी आने से यहां के किसानों को वादी के इस पारंपरिक फल उत्पादन के अंत का डर सताने लगा है।
गेहूं और धान की तुलना में मक्का, किसानों को ज्यादा फायदा देता है। इसके बावजूद कोसी क्षेत्र के किसान मक्के की खेती से दूर हो रहे हैं।
बिहार में खरीफ सत्र 2022-23 के लिए एक नवंबर से उत्तर बिहार और 15 नवंबर से दक्षिण बिहार में धान की खरीद शुरू हो गई है।
फलका प्रखंड क्षेत्र के महेशपुर, राजधानी, सालेहपुर एवं गोविंदपुर बहियार में कृषकों के खेत में लगी मक्के की फसल गलत कीटनाशक पाउडर के इस्तेमाल से बर्बाद हो गई।