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किशनगंज: तेज़ आंधी व बारिश से दर्जनों मक्का किसानों की फसल बर्बाद

नीतीश कुमार ने 1,028 अभ्यर्थियों को सौंपे नियुक्ति पत्र, कई योजनाओं की दी सौगात

किशनगंज के दिघलबैंक में हाथियों ने मचाया उत्पात, कच्चा मकान व फसलें क्षतिग्रस्त

Agriculture की अन्य ख़बरें

“किसान बर्बाद हो रहा है, सरकार पर विश्वास कैसे करे”- सरकारी बीज लगाकर नुकसान उठाने वाले मक्का किसान निराश

किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत हल्दीखोड़ा पंचायत के धर्मटोला वार्ड संख्या 4 के निवासी सद्दाम हुसैन पिछले चार सालों से मक्के की खेती कर रहे हैं। उन्होंने नवंबर महीने में अनुमंडल कार्यालय से मक्के के बीज लिए थे जिन्हें लगाने के हफ़्तों बाद भी पौधे नहीं आए।

धूप नहीं खिलने से एनिडर्स मशीन खराब, हाथियों का उत्पात शुरू

किशनगंज जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में हाथियों को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा लगाई गई एनिडर्स मशीन भी बेकार साबित होने लगी है।

“यही हमारी जीविका है” – बिहार के इन गांवों में 90% किसान उगाते हैं तंबाकू

किसानों ने बताया कि तंबाकू का बीज बाज़ार में उपलब्ध नहीं होता। इसे पौधे में मौजूद छोटे से फल से निकाला जाता है और काट कर सुखाया जाता है। फिर बीज तैयार होता है। बीज लगाने के एक महीने बाद तंबाकू की पली निकाल कर उनकी रोपाई की जाती है। कमोबेश तीन महीने के बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

सीमांचल के जिलों में दिसंबर में बारिश, फसलों के नुकसान से किसान परेशान

बिहार के अररिया जिला स्थित सिमराहा के किसान श्यामदेव ने बताया कि कटाई के बाद खेत में रखा धान बारिश के पानी में सड़ने लगा है। मक्के की रोपाई के लिए खेतों में दिया गया खाद भी बारिश के कारण खराब हो चुका है।

चक्रवात मिचौंग : बंगाल की मुख्यमंत्री ने बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा की

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर मुख्य सचिव एच.के. द्विवेदी को पत्र लिखा था। इसके एक दिन बाद सीएम ने यह घोषणा की है।

बारिश में कमी देखते हुए धान की जगह मूंगफली उगा रहे पूर्णिया के किसान

चिन्मयानंद ने इस सीज़न करीब 1 हेक्टेयर ज़मीन में मूंगफली लगाई थी। उनके अनुसार एक हेक्टेयर ज़मीन पर खेती में करीब 12 से 13 हजार रुपये की लागत आती है। आम तौर पर 1 क्विंटल बीज लगाने पर 7 से 8 क्विंटल फसल की उपज होती है।

ऑनलाइन अप्लाई कर ऐसे बन सकते हैं पैक्स सदस्य

वोटर्स की संख्या कम होने के कारण ज्यादा प्रभाव वाले ऐसे-ऐसे लोग पैक्स चेयरमैन बन जाते हैं जो किसान से धान खरीदने के बजाय गाँव के पैकारों (स्थानीय व्यापारी) से धान खरीद कर मोटा मुनाफ़ा कमाने लगते हैं।

‘मखाना का मारा हैं, हमलोग को होश थोड़े होगा’ – बिहार के किसानों का छलका दर्द

बिहार में मखाना का सबसे ज़्यादा उत्पादन आज सीमांचल के चार जिलों पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया में हो रहा है। इसी को देखते हुए अगस्त 2020 में भारत सरकार ने 'मिथिला मखाना' को GI टैग दिया है।

पश्चिम बंगाल: ड्रैगन फ्रूट की खेती कर सफलता की कहानी लिखते चौघरिया गांव के पवित्र राय

पवित्र राय अपने गांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत करने वाले पहले किसान हैं। उन्होंने बताया कि उनकी सफलता को देख कर गांव और आसपास के और किसानों ने भी ड्रैगन फ्रूट उगाना शुरू किया है जिनकी वह मदद भी करते हैं।

सहरसा: युवक ने आपदा को बनाया अवसर, बत्तख पाल कर रहे लाखों की कमाई

जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड स्थित पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर बसे सकरा पहाड़पुर गांव के रहने वाले पप्पू कुमार के लिए बत्तख पालन ही उनकी कमाई का जरिया बन गया है। ग्रेजुएशन और इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद पप्पू कुमार ने नौकरी के बजाय अपना कारोबार करने की ठानी। पप्पू बताते हैं कि बत्तख पालन को लेकर उन्होंने यूट्यूब का सहारा लिया और इससे संबंधित तमाम जानकारी वहीं से हासिल की।

बारिश नहीं होने से सूख रहा धान, कर्ज ले सिंचाई कर रहे किसान

बारिश नहीं होने की वजह से किसानों को मजबूरी में पंपसेट लगाकर सिंचाई करनी पड़ रही है। पंपसेट द्वारा एक घंटे की सिंचाई की कीमत 150 रुपये है। एक छोटे खेत की सिंचाई करने में किसान को 3 से 4 घंटे का वक्त लग जाता है।

कम बारिश से किसान परेशान, नहीं मिल रहा डीजल अनुदान

किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने की वजह से खेतों में पंप के सहारे सिंचाई करने से काफी लागत आ रही है। ऐसे में लागत अधिक होने से काफी नुकसान होने की आशंका है। किसानों ने कहा कि डीजल अनुदान उन्हें नहीं मिल रहा है। किसानों ने मांग की कि सिंचाई के लिए उन्हें बिजली और बिजली संचालित पंप मोटर उपलब्ध करवाया जाय।

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