बिहार विधानसभा में बुधवार को पंचायत कचड़ा घर और स्वच्छता कर्मियों के मानदेय का मुद्दा उठा। ‘मैं मीडिया’ ने जुलाई महीने में कचड़ा घरों की निष्क्रियता और सफाई कर्मियों के वेतन पर शीर्षक ‘बिहार के गाँव-गाँव में बन रहे कचरा घरों का कितना हो रहा है इस्तेमाल?‘ के साथ खबर चलाई थी।
किशनगंज जिले की अलग अलग पंचायत जाकर हमने पाया था कि कचरा प्रबंधन के लिए पंचायतों में WPU (वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट) बनाए तो गए हैं लेकिन अधिकांश स्थानों पर ये निष्क्रिय है। सफाई कर्मियों को जो मामूली वेतन मिलता है वो भी कई महीनों से बकाया है और स्वच्छता में उपयोग होने वाले आवश्यक सामान, झाड़ू इत्यादि भी उपलब्ध नहीं हैं।
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बिहार विधानसभा सत्र में बुधवार को आरा से भाजपा विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह ने पूछा कि क्या सरकार कचड़ा घरों में बेकार पड़ी रिक्शा गाड़ियों को ठीक कराने का विचार रखती है? इसके उत्तर में ग्रामीण विकास मंत्री व जदयू विधायक श्रवण कुमार ने कहा कि कचड़ा उठाने के लिए उपयोग होने वाले ई-रिक्शा और ठेले अगर खराब होकर निष्क्रिय पड़े हैं तो ग्रामीण विकास विभाग एक साल तक उनके रखरखाव का काम करता है। इसके बाद रिक्शे और ठेलों की मरम्मत आदि का काम ग्राम पंचायत से कराया जाता है।
इसके बाद अमरेंद्र प्रताप सिंह ने स्वच्छता कर्मियों के मानदेय रुकने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, “मज़दूरों की जो मज़दूरी है वो बाकी है, छह-छह महीने से बाकी है। इस मामले में जांच कराकर सरकार पता करे कि यह लापरवाही किसने की? यह बहुत सुन्दर योजना है, इससे भविष्य में बहुत फायदा होने वाला है।”
वेतन के सवाल पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि एक साल तक विभाग मानदेय देता है। उसके बाद स्वच्छता कर्मियों के मानदेय का भुगतान और कचड़ा घर में गाड़ी या अन्य उपकरणों में कमी को दूर करने के लिए ग्राम पंचायत को निर्देश दिया गया है।
“हर घर से कचड़ा जब जमा किया जाता है तो मात्र एक रुपया प्रत्येक दिन के हिसाब से जो ग्राम पंचायत में लाभुक हैं उन्हें देना है। अगर उपलब्ध नहीं होते हैं तो यह ग्राम पंचायत को देखना है कि पैसा क्यों नहीं मिल रहा है,” श्रवण कुमार बोले।
इसके बाद बोध गया से राजद विधायक कुमार सर्वजीत ने पूछा कि कितनी पंचायतों में ई-रिक्शा की मरम्मत कराई गई है और ई -रिक्शा चालक व सफाई कर्मी को कब से वेतन नहीं मिला है, क्या यह राज्य सरकार के संज्ञान में है?
बिहार ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने जवाब दिया कि ग्राम पंचायत के मुखिया की देखरेख में सारा काम होता है। अगर किसी स्वच्छता कर्मी को ग्राम पंचायत ने भुगतान नहीं किया है तो विभाग को जानकारी दी जाए कि एक महीने के भीतर ऐसे सभी कर्मियों का भुगतान कराया जाएगा।
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