चालू वर्ष के मार्च महीने में सहायक निदेशक, भू-अर्जन-सह संयुक्त सचिव ने अपर समाहर्ता और भूमि सुधार उप-समाहर्ता के न्यायालय की सभी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करने के संबंध में सभी जिलों के कलेक्टर को निर्देश जारी किया था। यह निर्देश कलेक्टर, एडिशनल कलेक्टर और भूमि सुधार उप-समाहर्ता (डीसीएलआर) के राजस्व न्यायालयों में दायर वादों को ऑनलाइन करने के संबंध में विभाग द्वारा जारी किया गया दूसरा पत्र था। विभाग द्वारा जारी इस पत्र में निर्देशित काम को पूरा करा लिए जाने की अंतिम समय सीमा 31 मार्च 2024 निर्धारित की गई थी।
यह पहली बार नहीं है कि बिहार सरकार के राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने कलेक्टर, एडिशनल कलेक्टर और भूमि सुधार उप-समाहर्ता (डीसीएलआर) के न्यायालय की सभी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करने के संबंध में सभी जिलों के कलेक्टर को निर्देश दिया है। इससे पहले भी चालू वर्ष के फरवरी महीने में सहायक निदेशक, भू-अर्जन-सह संयुक्त सचिव ने कलेक्टर, एडिशनल कलेक्टर और डीसीएलआर के न्यायालय की सभी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करने के संबंध में सभी जिलों के कलेक्टर को निर्देश दिया था। इस पत्र में सभी जिलों के कलेक्टर के लिए निर्देशित काम को पूरा कराने के लिए 31 मार्च 2024 की समय सीमा निर्धारित की गई थी। इसके बाद भी फरवरी से मई की अवधि के बीच कलेक्टर, एडिशनल कलेक्टर और डीसीएलआर के न्यायालय की सभी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन नहीं की जा सकी है।
विभागीय पत्र में चालू वर्ष की पहली अप्रैल से अपर समाहर्ता के न्यायालय में चलने वाले वादों जैसे बिहार भूदान यज्ञ, लगान-निर्धारण, भू-मापी अपील, भू-हदबंदी, दाखिल खारिज, जमाबंदी रद्दीकरण, रिविजनल अपील आदि से जुड़े मामलों की सभी प्रक्रियाओं को पूरी तरह से ऑनलाइन करने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा डीसीएलआर के न्यायालय में चलने वाले केस जैसे बँटाईदारी, नामांतरण-अपील, लगान-निर्धारण, बकास्त रैयतीकरण के मामलों को पूरी तरह से ऑनलाइन करने को कहा गया।
राजस्व व भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट की स्थिति
बिहार सरकार, राजस्व व भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट पर डीसीएलआर कोर्ट में केस दायर करने वाले आवेदकों को फाइलिंग के समय टोकन नम्बर देने की व्यवस्था की गई है। यह एक यूनिक पहचान संख्या है जिसके जरिये आवेदक फाइलिंग के बाद अपने केस की स्थिति ऑनलाइन पता की जा सकती है। इसके उलट डीसीएलआर सदर, पूर्णिया के कोर्ट में आवेदकों को केस फाइलिंग के समय टोकन नम्बर नहीं दिया जाता है। इसके कारण फाइलिंग की स्थिति जानने के लिए डीसीएलआर कोर्ट के संबंधित कर्मचारियों के पीछे-पीछे रहने की आवेदकों की पुरानी प्रथा आज भी बेरोकटोक जारी है।
इसके तहत पांच प्रकार की फाइलिंग की स्थिति जानने की ऑनलाइन सुविधा विकसित की गई है जिनमें नामांतरण अपील, बीएलडीआर केस, भूदान संबंधी केस, लगान-निर्धारण, बकास्त रैयतीकरण, 48(ई) बँटाईदारी से जुड़े केस शामिल हैं।
डीसीएलआर सदर, पूर्णिया के कोर्ट में दायर नामांतरण अपील से जुड़े केसों को ऑफलाइन से ऑनलाइन करने में फरियादियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई नामांतरण अपील केस का ऑफलाइन माध्यम से मुहैया कराया गया केस नम्बर ऑनलाइन होते-होते बदल जाता है। कुछ मामलों में रजिस्टर पर दर्ज़ केस नम्बर वही रहता है लेकिन ऑनलाइन होते-होते फरियादी का ही नाम बदल जाता है। ऑफलाइन दिए गए केस नम्बर और ऑनलाइन दिख रही जानकारी में अंतर आ जाने के कारण आवेदकों को बार-बार डीसीएलआर सदर, पूर्णिया के कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ता है।
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पूर्णिया पूर्व अंचल और डीसीएलआर सदर, पूर्णिया के राजस्व कोर्ट में दायर लगान-निर्धारण वादों को आज तक ऑनलाइन नहीं किया गया है। पूर्णिया पूर्व अंचल के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘’लगान-निर्धारण के जरिये खोली गई जमाबंदी को ऑनलाइन किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए अंचल परिसर में काम जारी है।‘’ लेकिन, साल 2018 से 31 मार्च 2024 के बीच अंचलाधिकारी पूर्णिया पूर्व और डीसीएलआर सदर, पूर्णिया के कोर्ट में दायर लगान-निर्धारण वादों में पारित अंतिम आदेशों की प्रति ऑनलाइन किए जाने की बात पर वो चुप्पी साध लेते हैं। इसके अतिरिक्त डीसीएलआर सदर, पूर्णिया द्वारा भूदान, बकास्त रैयतीकरण से जुड़े केस को अब तक ऑनलाइन अपलोड नहीं किया गया है।
कॉज लिस्ट की मौजूदा हालत
विभागीय वेवसाइट पर बहाल सुविधा में एक कॉज लिस्ट ही है जो बाहर से देखने पर ठीक-ठाक संचालित लगती है। इसमें दायर केस की दैनिक सुनवाई से जुड़ी जानकारियाँ जैसे केस नम्बर, समय आदि नियमित रूप से अपलोड की जा रही है।
ऑर्डर एंड जजमेंट
विभागीय वेबसाइट पर डीसीएलआर कोर्ट में दायर केस में डीसीएलआर द्वारा पारित ऑर्डर और जजमेंट देखने की सुविधा दी गई है। इसके बावज़ूद साल 2018 से 2023 तक के लगान-निर्धारण केस का ऑर्डर और जजमेंट ऑनलाइन अपलोड नहीं किया गया है। वहीं, नामांतरण अपील और बीएलडीआर केस में डीसीएलआर सदर, पूर्णिया द्वारा जजमेंट अपलोड किए गए हैं लेकिन केस की सुनवाई के दौरान पारित ऑर्डर की न तो जानकारी और न ही उसकी प्रति ऑनलाइन साझा की गई है। इसके अतिरिक्त नामांतरण अपील और बीएलडीआर के कई केस डीसीएलआर सदर, पूर्णिया द्वारा 90 कार्य दिवस से अधिक की अवधि से बिना किसी कारण के लम्बित रखे गए हैं जिसकी समुचित जानकारी न तो डीसीएलआर सदर, पूर्णिया कोर्ट के बाहर चस्पा की गई है और न ही ऑनलाइन दी जा रही है। समुचित जानकारी साझा किए जाने के अभाव में जहाँ एक ओर आवेदक डीसीएलआर सदर, पूर्णिया के कोर्ट का चक्कर लगाने को मज़बूर हैं, वहीं दूसरी ओर मनमाने आदेश पारित कर दिए जाने और आदेश की जानकारी ससमय न मिल पाने के कारण पीड़ित पक्ष को ऊपरी राजस्व अदालतों का दरवाज़ा खटखटाने में देर हो रही है। इसके अलावा ऊपरी राजस्व अदालतों में उनके द्वारा केस दायर करने में हुई देरी को माफ करने के लिए उन्हें हाकिमों की दया पर निर्भर रहना पड़ता है। याद रहे कि राजस्व व भूमि सुधार विभाग के पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने अपने कार्यकाल के दौरान एक मीटिंग में डीसीएलआर कोर्ट में शिकायत और 90 दिनों में फैसला आॕनलाइन आ जाने की बात कही थी।
डीसीएलआर सदर, पूर्णिया के कोर्ट से जुड़े एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “काम का लोड बहुत ज्यादा है। एक महीने चुनाव कार्यों में व्यस्त रहे। इसके बाद काउंटिंग की तैयारी करनी है।” यह पूछे जाने पर कि कितने स्टॉफ कोर्ट के कामों को ऑनलाइन करने में लगे हुए हैं, वह कहते हैं कि इस कोर्ट में एक ही स्टाफ है जो कोर्ट के कामों को कंप्यूटर पर चढ़ाता है।
भूमि सुधार उप-समाहर्ता और अपर समाहर्ता के न्यायालय की सभी प्रक्रियाएँ ऑनलाइन किए जाने से पहले राजस्व व भूमि सुधार विभाग अपनी वेबसाइट पर इसके लिए जरूरी सुविधा उपलब्ध करा दिए जाने का दावा कर रहा है। लेकिन, विभाग द्वारा दिए गए समय की सीमा समाप्त हुए करीब दो महीने पूरे होने को हैं। इसके बावज़ूद डीसीएलआर सदर, पूर्णिया अपने कोर्ट में लम्बित और निष्पादित मामलों की सूचना पूरी तरीके से ऑनलाइन करने में पिछड़ चुके हैं।
एक बड़ा सवाल यह भी है कि डीसीएलआर के कोर्ट में लम्बित मामलों को ऑनलाइन करने में लगने वाले संसाधन संबंधित राजस्व कोर्ट को उपलब्ध करा दिए गए हैं अथवा नहीं?
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