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एक गांव, जहां हिन्दू के जिम्मे है इमामबाड़ा और मुस्लिम के जिम्मे मंदिर

करीब 250 साल पहले, एक मुस्लिम सूबेदार ने मुस्लिम टोला में मंदिर और हिंदू बस्ती में इमामबाड़ा बनवा दिया। इस प्रकार, मंदिर की देखभाल मुस्लिम समुदाय और इमामबाड़ा की देखभाल हिंदू समुदाय के जिम्मे आ गई। बिहार के अररिया जिले के इस गांव में आज भी यह परंपरा धार्मिक सौहार्द्र का प्रतीक बनी हुई है।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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a village, where hindus are responsible for imambara and muslims are responsible for temples

बिहार के अररिया ज़िले में एक अद्वितीय धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है। जिले के फारबिसगंज अंतर्गत चौरा परवाहा गाँव के स्कूल के प्रांगण में लगभग 250 साल से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है, जो न केवल धार्मिक आस्था को प्रदर्शित करता है बल्कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच की गहरी एकता और आपसी भाईचारे की मिसाल भी पेश करता है।


भागकोहलिया पंचायत के वार्ड नंबर 14 में स्थित इस दुर्गा मंदिर के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि ये मुगलकालीन सूबेदार मीर साहब के शासनकाल में बनाया गया था। मीर साहब ने सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्र में दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया, जबकि हिंदू बहुल क्षेत्र में इमामबाड़ा बनवाया। आज भी, दोनों समुदाय के लोग इन धार्मिक स्थलों की रक्षा करते हैं और किसी भी प्रकार का भेदभाव या विवाद यहां कभी नहीं हुआ।

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स्थानीय पुजारी कृष्णानंद झा ने बताया कि यह मंदिर 250 साल से भी अधिक पुराना है। वह कहते हैं कि मंदिर मीर साहब द्वारा मुस्लिम क्षेत्र में बनवाया गया और आज भी इसकी देखरेख मुस्लिम समुदाय करता है। इसके बदले में, हिंदू समुदाय इमामबाड़े की देखरेख करता है। यह हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित एक अनूठी परंपरा है जिसे हम आज भी निभा रहे हैं। मंदिर के अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह उर्फ़ पंकज सिंह ने बताया कि भागकोहलिया पंचायत का यह एकमात्र दुर्गा मंदिर है। वहीं मंदिर के अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह उर्फ़ पंकज सिंह बताते हैं कि ये क्षेत्र का एकमात्र मंदिर है।


फारबिसगंज का यह इलाका आज भी अपने पूर्वजों की उस विरासत को संभाले हुए है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। यहां के लोगों का मानना है कि मीर साहब द्वारा स्थापित यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि भले ही धर्म अलग हो, लेकिन मानवता और एकता से बड़ा कोई धर्म नहीं है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि नवरात्रि का पर्व यहां बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और इसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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