Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

दशकों से एक पुराने टूटे पुल के निर्माण की राह तकता किशनगंज का गाँव

किशनगंज प्रखंड की मोतिहारा तालुका पंचायत में छगलिया और रामजीबाड़ी गांवों के बीच स्थित यह टूटा पुल हजारों लोगों के लिए लंबे समय से मुसीबत बना हुआ है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
Published On :
a village in kishanganj has been waiting for the construction of an old broken bridge for decades

बिहार के किशनगंज में दशकों से एक टूटे पुल के कारण दर्जनभर गांव मुख्यधारा से पिछड़ गए हैं। किशनगंज प्रखंड की मोतिहारा तालुका पंचायत में छगलिया और रामजीबाड़ी गांवों के बीच स्थित यह टूटा पुल हजारों लोगों के लिए लंबे समय से मुसीबत बना हुआ है।


रमज़ान नदी में आम दिनों में पानी कम रहता है, लेकिन बरसात में हालात कई गुना खराब हो जाते हैं। पुल न होने के कारण ग्रामीण बाजार, स्कूल और अस्पताल जाने के लिए कई किलोमीटर लंबा रास्ता तय करते हैं। क्षेत्र के किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने के लिए भी नदी पार करनी पड़ती है जिससे किसान बहुल आबादी को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Also Read Story

वर्षों से पुल के इंतजार में कटिहार का कोल्हा घाट

किशनगंज ईदगाह विवाद: किसने फैलाई बिहार बनाम बंगाल की अफवाह?

दशकों के इंतज़ार के बाद बन रही रोड, अब अनियमितता से परेशान ग्रामीण

बिहार में सिर्फ कागज़ों पर चल रहे शिक्षा सेवक और तालीमी मरकज़ केंद्र?

क्या पूर्णिया के गाँव में मुसलमानों ने हिन्दू गाँव का रास्ता रोका?

बिहार में जीवित पेंशनधारियों को मृत बता कर पेंशन रोका जा रहा है?

शादी, दहेज़ और हत्या: बिहार में बढ़ते दहेज उत्पीड़न की दर्दनाक हकीकत

किशनगंज: एक अदद सड़क को तरसती हजारों की आबादी

क्या राजगीर एयरपोर्ट की भेंट चढ़ जाएगा राजगीर का 800 एकड़ ‘आहर-पाइन’?

पुल न होने के कारण बरसात में छात्र-छात्राओं को स्कूल और ट्यूशन पहुंचने के लिए लंबा और कठिन रास्ता तय करना पड़ता है। सूखे मौसम में किसी तरह साइकिल से आना-जाना संभव हो जाता है लेकिन बारिश में उनकी पढ़ाई बाधित होती है। रास्ता न होने से खेतों में काम करने वाली महिलाओं को भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।


मोतिहारा तालुका पंचायत के छगलिया, कुचियाबाड़ी, पानीसाल, बनबाड़ी समेत 15-20 गांवों के लोग इसी रास्ते से आवागमन करते हैं। ग्रामीणों ने वर्षों से पुल निर्माण की मांग की, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कई बार लिखित आवेदन दिया, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सरकार की उदासीनता से स्थानीय ग्रामीणों में काफी निराशा है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

Related News

बिहार: वर्षों से जर्जर फणीश्वरनाथ रेणु के गांव तक जाने वाली सड़क

निर्माण खर्च से 228.05 करोड़ रुपये अधिक वसूली के बावजूद NH 27 पर बड़े बड़े गड्ढे

विधवा को मृत बता पेंशन रोका, खुद को जिंदा बताने के लिए दफ्तरों के काट रही चक्कर

सहरसा के इस गांव में CM आएंगे, लेकिन यहाँ विकास कब पहुंचेगा?

किशनगंज: ठिठुरती रातों में खुले में सोने वाले बेघर लोग क्यों नहीं जा रहे सरकारी रैन बसेरा

चचरी के सहारे सहरसा का हाटी घाट – ‘हमको लगता है विधायक मर गया है’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

वर्षों से पुल के इंतजार में कटिहार का कोल्हा घाट

किशनगंज ईदगाह विवाद: किसने फैलाई बिहार बनाम बंगाल की अफवाह?

दशकों के इंतज़ार के बाद बन रही रोड, अब अनियमितता से परेशान ग्रामीण

बिहार में सिर्फ कागज़ों पर चल रहे शिक्षा सेवक और तालीमी मरकज़ केंद्र?

दशकों से एक पुराने टूटे पुल के निर्माण की राह तकता किशनगंज का गाँव