बिहार के किशनगंज में दशकों से एक टूटे पुल के कारण दर्जनभर गांव मुख्यधारा से पिछड़ गए हैं। किशनगंज प्रखंड की मोतिहारा तालुका पंचायत में छगलिया और रामजीबाड़ी गांवों के बीच स्थित यह टूटा पुल हजारों लोगों के लिए लंबे समय से मुसीबत बना हुआ है।
रमज़ान नदी में आम दिनों में पानी कम रहता है, लेकिन बरसात में हालात कई गुना खराब हो जाते हैं। पुल न होने के कारण ग्रामीण बाजार, स्कूल और अस्पताल जाने के लिए कई किलोमीटर लंबा रास्ता तय करते हैं। क्षेत्र के किसानों को अपने खेतों तक पहुंचने के लिए भी नदी पार करनी पड़ती है जिससे किसान बहुल आबादी को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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पुल न होने के कारण बरसात में छात्र-छात्राओं को स्कूल और ट्यूशन पहुंचने के लिए लंबा और कठिन रास्ता तय करना पड़ता है। सूखे मौसम में किसी तरह साइकिल से आना-जाना संभव हो जाता है लेकिन बारिश में उनकी पढ़ाई बाधित होती है। रास्ता न होने से खेतों में काम करने वाली महिलाओं को भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
मोतिहारा तालुका पंचायत के छगलिया, कुचियाबाड़ी, पानीसाल, बनबाड़ी समेत 15-20 गांवों के लोग इसी रास्ते से आवागमन करते हैं। ग्रामीणों ने वर्षों से पुल निर्माण की मांग की, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को कई बार लिखित आवेदन दिया, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सरकार की उदासीनता से स्थानीय ग्रामीणों में काफी निराशा है।
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