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बिहार के किसान ने सस्ते में पुरानी साइकिल से बना दिया हल

कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस बात को एक बार फिर सही साबित किया है सहरसा के सौरबाजार प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बैजनाथपुर गांव के दिनेश कुमार यादव और उनके भतीजे शशि यादव ने।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
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कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस बात को एक बार फिर सही साबित किया है सहरसा के सौरबाजार प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बैजनाथपुर गांव के दिनेश कुमार यादव और उनके भतीजे शशि यादव ने।

दरअसल दिनेश कुमार यादव छोटे किसान हैं। उन्हें अपने 7 कट्ठा खेत जोतने के लिए या तो ट्रैक्टर बुलाना पड़ता था, या उपाय था बैल और हल। उनके छोटे से खेत में इन दोनों ही तरीकों से जुताई की लागत ज्यादा बैठ रही थी। इसी से परेशान होकर उन्होंने अपने भतीजे शशि यादव की मदद से एक नए तरीके के हल का आविष्कार कर दिया। इसमें न तो हजारों रुपए के बैल की जरूरत है, ना ज्यादा मजदूरों की और ना ही लाखों रुपए का ट्रैक्टर चाहिए।

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बहुत ही कम लागत के साथ इस हल को साइकिल के अगले हिस्से की मदद से बनाया गया है। हल को चलाने के लिए केवल एक आदमी की जरूरत पड़ती है जिससे वह दिन भर में 4 से 5 कट्ठा जमीन को जोत सकता है।


इस हल को बनाने वाले शशि यादव पेशे से मकैनिक हैं। वह बताते हैं कि साइकिल का अगला हिस्सा और कुछ लोहा मिलाकर इस हल को बनाया जाता है। अगर कोई और किसान इस हल को इस्तेमाल करना चाहता है तो वह उनसे बनवा सकता है या फिर उनसे तकनीक लेकर खुद भी इसे बना सकता है।

दिनेश कुमार यादव के पड़ोसी सुबोध कुमार भी छोटे किसान हैं और वह भी इसी हल से अपने खेत की जुताई करते हैं। सुबोध कुमार बताते हैं कि इससे पहले वह बैल वाले हल से अपने खेत की जुताई करते थे जिसमें काफी ज्यादा लागत आती थी। एक छोटा किसान होने के नाते वह इतनी लागत लगाने में असमर्थ थे। अब वह इस हल को इस्तेमाल कर काफी खुश हैं।

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एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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