कहते हैं कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस बात को एक बार फिर सही साबित किया है सहरसा के सौरबाजार प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत बैजनाथपुर गांव के दिनेश कुमार यादव और उनके भतीजे शशि यादव ने।
दरअसल दिनेश कुमार यादव छोटे किसान हैं। उन्हें अपने 7 कट्ठा खेत जोतने के लिए या तो ट्रैक्टर बुलाना पड़ता था, या उपाय था बैल और हल। उनके छोटे से खेत में इन दोनों ही तरीकों से जुताई की लागत ज्यादा बैठ रही थी। इसी से परेशान होकर उन्होंने अपने भतीजे शशि यादव की मदद से एक नए तरीके के हल का आविष्कार कर दिया। इसमें न तो हजारों रुपए के बैल की जरूरत है, ना ज्यादा मजदूरों की और ना ही लाखों रुपए का ट्रैक्टर चाहिए।
Also Read Story
बहुत ही कम लागत के साथ इस हल को साइकिल के अगले हिस्से की मदद से बनाया गया है। हल को चलाने के लिए केवल एक आदमी की जरूरत पड़ती है जिससे वह दिन भर में 4 से 5 कट्ठा जमीन को जोत सकता है।
इस हल को बनाने वाले शशि यादव पेशे से मकैनिक हैं। वह बताते हैं कि साइकिल का अगला हिस्सा और कुछ लोहा मिलाकर इस हल को बनाया जाता है। अगर कोई और किसान इस हल को इस्तेमाल करना चाहता है तो वह उनसे बनवा सकता है या फिर उनसे तकनीक लेकर खुद भी इसे बना सकता है।
दिनेश कुमार यादव के पड़ोसी सुबोध कुमार भी छोटे किसान हैं और वह भी इसी हल से अपने खेत की जुताई करते हैं। सुबोध कुमार बताते हैं कि इससे पहले वह बैल वाले हल से अपने खेत की जुताई करते थे जिसमें काफी ज्यादा लागत आती थी। एक छोटा किसान होने के नाते वह इतनी लागत लगाने में असमर्थ थे। अब वह इस हल को इस्तेमाल कर काफी खुश हैं।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।
