दिल्ली के कोतवाली क्षेत्र से 12 नाबालिगों को बंधुआ मजदूरी से छुड़ाया गया। इन नाबालिग लड़कों को बिहार के सीतामढ़ी, मधुबनी, पूर्वी चंपारण समेत विभिन्न जिलों से तस्करी कर ले जाया गया था। मध्य दिल्ली के कोतवाली तहसील स्थित नई बस्ती, सदर बाजार में बैग बनाने वाली 7 दुकानों में इनसे रोज़ाना 18 घंटे तक जबरन काम कराया जाता था, जहां इन्हें बाहर जाने की भी अनुमति नहीं थी।
शिकायतकर्ता फूल कुमारी देवी, एडवोकेट मिर्ज़ा हसन बेग की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने 3 मार्च को रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर बिहार के 12 नाबालिग लड़कों को मुक्त कराया और मेडिकल जांच के लिए भेजा। बचाव कार्य में बिहार की गैर सरकारी संस्था अदिति भी शामिल थी। रिहा किए गए बच्चों की उम्र 11 से 16 वर्ष के बीच है, जिसमें 11 वर्ष के 2, 12 और 14 वर्ष के 1-1, 15 वर्ष के 6 और 16 वर्ष के 2 बच्चे शामिल हैं।
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इस मामले में सदर बाजार पुलिस स्टेशन में 7 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने बाल एवं किशोर श्रम (संशोधन) अधिनियम, 1986 और किशोर न्याय (बाल संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले में नई बस्ती की 7 दुकानों के मालिकों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें मो. सोहैल, मो. जमशेद, मो. शौकत, मो. शमशाद, मो. प्यारे और मो. ताहसिन शामिल हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, छुड़ाए गए नाबालिग बच्चों से स्कूल बैग समेत अन्य बैग सिलवाए जाते थे। उन्हें कड़ी निगरानी में रखकर रोज़ाना 18 घंटे तक काम कराया जाता था और पूरे दिन में सिर्फ दो बार खाना दिया जाता था। साथ ही, बच्चों को अस्वच्छ और अमानवीय परिस्थितियों में सुलाया जा रहा था।
रिहा कराये गए दो बच्चों ने बताया कि उनके घरवालों को भी किसी तरह का कोई वेतन नहीं दिया जा रहा था। तस्करों ने दिल्ली लाने से पहले उनके परिवार को ₹500 दिए थे और 3 से 4 हजार रुपये मासिक वेतन देने का झूठा वादा किया था। हालांकि, महीनों तक काम कराने के बावजूद परिवारों को कोई भुगतान नहीं किया गया। रिहा कराये गए बच्चों को फिलहाल नजदीकी बाल गृह में रखा गया है।
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